जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता) लेबनान की राजधानी बेरूत में हुए भयानक धमाके के चार दिन बाद अपने नेताओं से नाराज़ लेबनान के हज़ारों लोग फिर से सड़कों पर उतरे। बताया जारहा है कि लेबनान को मिटा देने की हसरत रखने वाला उसका दुश्मन अपने मंसूबे मे कामयाब हो रहा है।दरअस्ल लेबनान मे ईसाई शिया और सुन्नी मसलक मिलजुल कर हते हैं।हिस्बुल्लाह जो हुकूमत का घटक दाल है वह ईरान समर्थित है ।शिया समाज से ताल्लुक़ रखने वाले नसरुल्लाह इस के प्रमुख हैं ।क्योकि कई सालो तक हिज़्बुल्लाह और इज़राईल कई साल जंग लड़ने के बाद पीछे हट गए थे लेकिन दोनों एक दूसरे को मिटाने की धमकियां भी देते हैं, और कार्रवाइयां भी करते रहते है ।लेबनान मे ईसाइयों की सरकार शिया समर्थन से है।लेकिन जहाँ धमाका हुआ है वह इलाक़ा सुन्नी बाहुल है ,खाद्यान का भंडार तथा मालदार अरबो का इलाक़ा शुमार होता है ।क्योकि धमाकों से लेबनान बुरी तरहां टूट चुका है। इसलिए अब वह खाना जंगी नहीं झेल पाएगा लेकिन लेबनान को जिस आग मे झोका गया है ।वह आसानी से बुझने वाली नहीं है । आज पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। मंगलवार को बंदरगाह पर हुए धमाके की घटना के बाद कई लोगों के मन में दबा गुस्सा फिर उबलने लगा है। ये वो लोग हैं जो वहां के राजनीतिक वर्ग को अयोग्य और भ्रष्ट मानते हैं। धमाका, अमोनियम नाइट्रेट के एक विशाल भंडार के कारण हुआ था जिसे एक शिप से ज़ब्त किया गया था, लेकिन इस भंडार को कभी वहां से हटाया नहीं गया। सरकार ने इस घटना के ज़िम्मेदार लोगों की पहचान करने का वादा किया है। लेकिन लेबनान में बड़े स्तर पर अविश्वास का माहौल है. इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में आर्थिक संकट और मुद्रा के कमज़ोर होने के बाद लेबनान में सरकार विरोधी आंदोलन शुरू हो गए थे। पिछले दिनों भी जब दो मंत्री बुरी तरह से प्रभावित इलाक़ों का दौरा करने गए तो उन्हें वहां से वापस भेज दिया गया। शनिवार के प्रदर्शनों से पहले 28 साल के एक्टिविस्ट फारेस हलाबी ने एएफ़पी न्यूज़ एजेंसी से कहा, ‘मलबा हटने और हमारे घावों का दर्द कम होने के बाद अब वक़्त है कि हम अपना गुस्सा दिखाए और उन्हें सज़ा दें

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