वसीम रिज़वी ने दी शिया वक़्फ़ बोर्ड के गठन को अदालत मे चुनौती


जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) अपनी ज़िन्दगी का वाहिद मक़सद शिया वक़्फ़ बोर्ड की लूट खसोट और उसमे खुर्द बुर्द करके ैश की ज़िन्दगी गुज़ारने वाले वसीम रिज़वी शिया वक़्फ़ बोर्ड के गठन के बाद से बौखला गए हैं।वह योगी सरकार द्वारा ईमानदार और अच्छी छवि रखने वाले सदस्यों पर आधारित शिया वक़्फ़ बोर्ड के गठन को वसीम रिज़वी समाप्त करने की कोशिश मे लग गए हैं। गुंडे माफियाओ और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम चलाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की कोशिश से ही मौलाना कल्बे जवाद की पसंद का बोर्ड गठित हो सका है जिसमे रख़ना डालने के लिए वसीम रिज़वी ने इस गठन को अदालत मे चुनौती दी है। 28 अक्टूबर को लखनऊ हाई कोर्ट इस पर सुनवाई करेगा। रिज़वी शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के गठन को चुनौती देने वाली इस रिट मे वकील कोटे से नामित सदस्यों की अधिसूचना को चुनौती देते हुए कहा हैं की 1995वक़्फ़ एक्ट की दफा 14 के तहेत नामांकन गलत है उन्होंने कहा है की अधिवक्ता कोटे नामित वकील शबाहत हुसैन और ज़रयाब जमाल रिज़वी सीनियर वकील नहीं हैं। जबकि ज़रयाब रिज़वी तो दिल्ली बार कौंसिल मे रजिस्टर्ड वकील हैं तो उनको उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड मे सदस्य कैसे बना दिया गया है। इसके अलावा रिट मे कहा गया है कि विधायक और विधान परिषद सदस्य को बोर्ड मे सदस्य बनाए जाने के लिए चुनाव नहीं कराया गया इस वजहा से दोनों सदनों का कोई भी सदस्य बोर्ड मे शामिल नहीं हो सका इस लिए ये अधिसूचना रद कर दी जाये । उधर क़ानूनी जानकारों का कहना है की ज़रयाब जमाल रिज़वी के मामले पर अदालत संज्ञान ले सकती है। लेकिन बाक़ी मामले में खामियां है।

बाहर हाल इस रिट से सरकार की मुहीम को झटका ज़रूर लगेगा खास कर अल्पसंख्यक मामलों के वज़ीर मोहसिन रज़ा जो इस बोर्ड के गठन मे पेश पेश और खासे उत्साहित थे। बताते चले की वसीम रिज़वी मायावती और अखलेश सरकार मे शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन रहे पला बदलने मे माहिर रिज़वी का भ्र्ष्टाचार उपरोक्त सरकारों मे खूब परवान चढ़ा वसीम रिज़वी के खिलाफ प्रमुख शिया धर्म गुरु मौलाना कल्बे जवाद ने शिया समुदाय की मांग पर प्रदर्शन किये और सपा सरकार मे आज़म खान और वसीम के बेहद क़रीबी रिश्तो के बावजूद सीबीसीआईडी जाँच का आदेश कराया लेकिन वह जाँच आज़म खां के प्रभाव के चलते कामयाब न हो सकी।

सत्ता बदलने के बाद वसीम ने बीजेपी मे घुसने की कोशिश की लेकिन कामयाब न हो साके और दोबारा चियरमैन बनने का सपना भी साकार न हो सका। इतना ही नहीं तमाम तर कोशिश के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ से मुलाक़ात भी संभव न हो सकी और मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ ने भ्र्ष्टाचार के इलज़ाम मे वसीम रिज़वी के खिलाफ सीबीआई जाँच की सिफारिश भी कर दी, जिसकी सीबीआई जाँच चल रही है।

ये भी बताते चले की 22अक्टूबर को उत्तर प्रदेश सरकार ने शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के गठन के लिए 8 सदस्यों पर आधारित अधिसूचना जारी की थी। जिसमे अधिवक्ता कोटे से वकील शबाहत हुसैन और ज़रयाब जमाल रिज़वी को नामित किया है जबकि धर्म गुरु से मौलाना रज़ा हुसैन समाज सेवी अली ज़ैदी सदस्य नामित हुए हैं।सरकारी अधिकारी मे डॉ नुरुस को नामित किया गया है। एक्स एमपी रामपुर की बेगम नूर बनो सदस्य बनाई गई हैं। जबकि मुतवल्ली के चुनाव मे वसीम रिज़वी और सय्यद फ़ैज़ी सदस्य बने हैं। वसीम रिज़वी और सय्यद फ़ैज़ी एक पाले मे हैं। और बाक़ी सदस्य एक साथ हैं।

 

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