छठी कक्षा से ग्यारहवीं तक के विद्यार्थियों को प्रमोट करने का फैसला,12वीं की परीक्षा पर निर्णय आकलन के बाद
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता) उत्तर प्रदेश के शिक्षा विभाग ने कक्षा छठवीं से लेकर ग्यारहवीं तक के विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रोन्नति देना का निर्णय लिया है। कक्षा नौवीं व ग्यारहवीं के छात्रों को वार्षिक परीक्षाफल के आधार पर अगली कक्षा में भेजा जाएगा। यदि सालभर कोई परीक्षा या असेसमेंट नहीं हुआ हो तो सामान्य रूप से छात्रों को प्रमोट करने का निर्देश है। शिक्षा विभाग के निर्देशों से सभी स्कूलों को अवगत करा दिया गया है। वहीं, कक्षा छठवीं, सातवीं, आठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं के छात्रों को प्रोन्नत करने के संबंध में यदि किसी प्रकार की शिकायत होगी तो उसकी सुनवाई जिला स्तर की कमेटी करेगी। लेकिन यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा जो जुलाई के दूसरे सप्ताह में प्रस्तावित है। प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि स्थिति की समीक्षा करने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कक्षा कक्षा छठवीं, सातवीं, आठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं के छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने का दिशा-निर्देश जारी किया है। जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि विभाग के निर्देश के अनुसार कक्षा छठवीं से आठवीं तक के छात्रों को सीधे अगली कक्षा में भेजना है। वहीं, कक्षा नौवीं और ग्यारहवीं के छात्रों को वार्षिक परीक्षाफल के आधार पर प्रमोट किया जाना है। डाॅ मुकेश कुमार सिंह बताते हैं कि जिन स्कूलों ने वार्षिक परीक्षा नहीं कराई, वे वर्ष भर में कराए गए टेस्ट, प्रोजेक्ट, आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रमोट कर सकते हैं। यदि साल भर इस तरह की कोई शैक्षणिक गतिविधियां नहीं हुई हैं तो सामान्य रूप से छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने का निर्देश है। ये निर्देश सभी बोर्ड के स्कूलों के लिए हैं, लेकिन यदि किसी बोर्ड ने विशेष तौर पर नियम बनाए हैं तो वह उसी के नियम लागू होंगे।शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि अगली कक्षा में प्रमोट करने को लेकर छात्र या अभिभावक जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली शुल्क नियामक समिति में शिकायत कर सकते हैं। इसका तीन दिन में निस्तारण होगा। दसवीं की बोर्ड परीक्षा निरस्त कर दी गई है। जल्द मूल्यांकन नीति जारी कर छात्रों को कक्षा ग्यारहवीं में प्रमोट कर दिया जाएगा। इसमें भी किसी छात्र या अभिभावक की शिकायत होगी तो उसका भी यही समिति निस्तारण करेगी।

प्रदेश में 1514 नए मरीज, 4,439 लोग डिस्चार्ज,लखनऊ में 58
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता)उत्तर प्रदेश पांच करोड़ कोरोना टेस्ट करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। प्रदेश सरकार ने टेस्ट, ट्रेकिंग और ट्रीट की नीति पर आक्रामकता के साथ काम किया जिसका नतीजा है कि कोरोना को नियंत्रित करने में बड़ी कामयाबी मिली है। प्रदेश में कोरोना से रिकवरी दर 97.1 प्रतिशत है। बीते 24 घंटे में प्रदेश में कोरोना के सिर्फ 1514 संक्रमित मिले हैं जबकि 3.32 लाख टेस्ट किए गए हैं। बता दें कि प्रदेश में 30 अप्रैल को सबसे ज्यादा 38 हजार मामले आए थे लेकिन अग्रेसिव टेस्टिंग, माइक्रो कन्टेनमेंट जोन सिस्टम और गांवों में निगरानी समितियों के द्वारा किये गए माइक्रो मैनेजमेंट एवं ट्रीटमेंट से कोरोना को नियंत्रित करने में कामयाबी मिली है। पिछले 24 घंटे की कोरोना पॉजिटिविटी दर 0.2 प्रतिशत रही।प्रदेश के 30 जिलों में 10 से कम मरीज मिले हैं। बुधवार को 1524 नए मरीज मिले हैं जबकि 4439 डिस्चार्ज हुए हैं। इसी तरह 115 मरीजों की मौत हो गई है।अब पूरे प्रदेश में एक्टिव कोविड मरीजों की कुल संख्या  28,694 है। अब तक 16 लाख 44 हजार 511 प्रदेशवासी कोरोना संक्रमण से मुक्त हो चुके हैं।  रिकवरी रेट 97.1 फीसदी हो गया है। विगत 24 घंटे में कुल 3,31,511 टेस्ट किए गए। प्रदेश में बुधवार को सभी जिलों में नए मरीजों का ग्राफ 100 से नीचे रहा। इसमें लखनऊ में 58 कानपुर में 27 प्रयागराज में 28 मेरठ में 96, गौतम बुद्ध नगर में 79 गोरखपुर में 60 गाजियाबाद में 49 सहारनपुर में 70 जौनपुर में 52 मरीज मिले हैं। इसी तरह अन्य जिलों में 50 से कम पॉजिटिव पाए गए हैं।प्रदेश में मौत का ग्राफ भी लगातार गिर रहा है। बुधवार को 36 जिलों में किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है जबकि 14 जिलों में एक-एक व्यक्तियों की मौत हुई है। इसी तरह कानपुर में 10 लखनऊ में आठ प्रयागराज में 6, मेरठ में थे झांसी में 6 गोरखपुर में 11 और अयोध्या में 5 लोगों की मौत हुई है। 

सपा सांसद एसटी हसन बोले-शरीयत के साथ छेड़छाड़ हुई,इसी वजह से आए दो तूफान, कोरोना से गईं हजारों जानें


जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता) उत्‍तर प्रदेश के मुरादाबाद से सपा सांसद डॉ.एसटी हसन ने ताउते और फिर यास तूफान के लिए केंद्र सरकार को जिम्‍मेदार ठहरा दिया है। डॉ.हसन ने कहा कि 10 दिन में दोनों तूफानों का आना और कोरोना महामारी की वजह से हजारों जिंदगियों का जाना, यह सब निशानी है पिछले सात साल में सरकार द्वारा की गई नाइंसाफियों की। गौरतलब है कि सपा सांसद इससे पहले भी अपने विवादास्‍पद बयान की वजह से चर्चा में आ चुके हैं।इस बार उन्‍होंने अपने बयान में कहा कि पिछले सात सालों में ऐसे कानून बनाये गए जिनसे शरीयत के साथ छेड़छाड़ की गई। एक नागरिकता कानून लाया जिसमें कहा गया कि सिर्फ मुसलमानों को नागरिकता नहीं मिलेगी। ये सब सरकार की नाइंसाफियां थीं। इन नाइंसाफियों के चलते ही देश में दो बार बड़े तूफान आए हैं। ये आसमानी आफत है। कोरोना की वजह से देश में बड़ी संख्‍या में लोग मर गए। पहली बार इंसानों की लाशें कुत्ते खा रहे थे। नदियों में लाशें बहा दी गईं। दाह संस्‍कार के लिए शमशान घाटों पर लकड़ियां कम पड़ गईं।सपा सांसद ने कहा कि जब जमीन वाला इंसाफ नहीं करता तो ऊपर वाला करता है। उन्‍होंने कहा कि देश के 99 प्रतिशत लोग धार्मिक लोग हैं। धार्मिक लोग यह मानते हैं कि इस दुनिया को चलाने वाला और इंसाफ करने वाला कोई और है। यदि जमीन वाले इंसाफ नहीं करते तो आसमान वाला इंसाफ करता है। जब वह इंसाफ करता है तो उसमें इफ एंड बट नहीं हुआ करता।
मोहसिन रजा ने किया पलटवार
सपा सांसद डा.एसटी हसन के बयान पर यूपी सरकार के मंत्री मोहसिन रजा ने पलटवार करते हुए कहा कि ये लोग देश में शरिया कानून लाना चाहते हैं। मोहसिन रजा ने कहा कि आईएसआईएस और इनकी सोच में कोई अंतर नहीं है।

5G पर अभिनेत्री जूही चावला की याचिका पर फैसला सुरक्षित


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) दिल्ली हाईकोर्ट में बॉलीवुड अभिनेत्री जूही चावला, वीरेश मलिक और टीना वाच्छानी की याचिका पर बुधवार दोपहर वर्चुअल सुनवाई मे अदालत ने ऑर्डर रिज़र्व कर लिया। याचिका में अदालत से कहा गया है कि वो सरकारी एजेंसियों को आदेश दें कि वो जाँच कर पता लगाएँ कि 5G स्वास्थ्य के लिए कितना सुरक्षित है। क़रीब 5,000 पन्नों वाली इस याचिका में कई सरकारी एजेंसियाँ जैसे डिपार्टमेंट ऑफ़ कम्युनिकेशंस, साइंस एंड एंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड, इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च, सेंट्रल पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड, कुछ विश्वविद्यालयों और विश्व स्वास्थ्य संगठन को पार्टी बनाया गया था।इस याचिका पर अपना ऑर्डर रिज़र्व करने से पहले जज मिधा ने इस याचिका पर कई सवाल पूछे उन्होंने दीपक खोसला से पूछा कि क्या उन्होंने सरकार को अपनी चिंताओं से अवगत करवाया है और क्या सरकार ने उन्हें कोई जवाब दिया है।अदालत ने उनसे पूछा कि अगर वो सरकार के पास नहीं गए तो वो सीधे अदालत के पास क्यों आए हैं। जज ने दीपक खोसला से पूछा “क्या आप बिना सरकार के पास गए सीधे अदालत आ सकते हैं?”उन्होंने दीपक खोसला से पूछा कि क्या उन्होंने इस याचिका को तैयार किया है और कहा कि ऐसा लगता है कि याचिका मीडिया पब्लिसिटी के लिए है। मोबाइल टावर रेडिएशन को लेकर जूही चावला की फ़िक्र 10 साल पुरानी है। साल 2011 की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ मालाबार हिल में रहने वाली जूही चावला अपने घर से 40 मीटर दूर सहयाद्रि गेस्ट हाउस पर लगे 16 मोबाइल फ़ोन टावर से स्वास्थ्य पर होने वाले असर को लेकर चिंतित थीं और जब आईआईटी मुंबई के एक प्रोफ़ेसर ने जाँच की तो पाया कि उनके घर का एक बड़ा हिस्सा कथित तौर पर ‘असुरक्षित’ था।यूट्यूब पर मौजूद एक प्रज़ेंटेशन में जूही चावला बताते हुई दिखती हैं कि कैसे इतने सारे फ़ोन टावर से उनकी फ़िक्र बढ़ी थी और उन्होंने अपने घर के आस-पास रेडिएशन के स्तर की जाँच के बारे में सोचा. और जब उन्होंने जाँच रिपोर्ट देखी, तब उनकी फ़िक्र और बढ़ गई।5जी सेल्युलर नेटवर्क दुनिया के कई हिस्सों जैसे अमेरिका, यूरोप, चीन और दक्षिण कोरिया में पहले से ही काम कर रहा है. भारत में भी 5जी ट्रायल्स पर काम चल रहा है।5जी से इंटरनेट की स्पीड बहुत तेज़ हो जाती है और इसे क्रांतिकारी माना जाता है, क्योंकि इससे टेलीसर्जरी, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, बिना ड्राइवर के कार जैसी तकनीक को और विकसित करने में मदद मिलेगी। लेकिन दुनिया के कई हिस्सों में फ़िक्र भी है कि 5जी की आधारभूत सुविधाओं से रेडिएशन का एक्सपोज़र बढ़ता है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।याद रहे कि पिछले साल ब्रिटेन में 5जी टावर्स को इन अफ़वाहों के फैलने के बाद आग लगा दी गई थी कि 5जी टावर्स कोरोना वायरस के फैलने या तेज़ी से फैलने का कारण हैं।भारत में भी ऐसी अफ़वाहें फैली थीं जिसके बाद सरकार को सफ़ाई देनी पड़ी थी।याचिका में 5जी से पेश संभावित ख़तरों का ज़िक्र किया गया है।याचिका में दावा किया गया है एक तरफ़ जहाँ सेल्युलर कंपनियाँ ख़तरनाक तेज़ी से सेल टावर लगा रही हैं ताकि कनेक्टिविटी बेहतर की जा सके. वहीं 5,000 से ज़्यादा ऐसे वैज्ञानिक शोध हैं, जो कथित तौर पर बता रहे हैं कि नेटवर्क प्रोवाइडर्स की इस लड़ाई में लोग मौत का शिकार हो रहे हैं। याचिका कहती है कि अगर टेलिकम्युनिकेशंस इंडस्ट्री का 5जी का प्लान कामयाब हो गया, तो कोई व्यक्ति, कोई जानवर, कोई चिड़िया और कोई पत्ता भी रेडियो फ़्रीक्वेंसी रेडिएशन से हर क्षण पेश आने वाले रेडिएशन से बच नहीं पाएगा और इस रेडिएशन का स्तर आज के स्तर 10 से 100 गुना ज़्यादा होगा। साल 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि आज तक मोबाइल फ़ोन के इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं दिखा है।लेकिन ये रिपोर्ट ये भी कहती है कि इंटरनेशनल एजेंसी फ़ॉर रिसर्च ने मोबाइल फ़ोन से पैदा होने वाली एलेक्ट्रोमैग्नेटिग फ़ील्ड्स को इंसानों के लिए संभावित कैंसर पैदा करने वाला माना है।विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक़ ऐसा इसलिए है क्योंकि अभी इस बारे में पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं कि मोबाइल फ़ोन से पैदा होने वाली एलेक्ट्रोमैग्नेटिग फ़ील्ड्स से पक्के तौर पर इंसानों में कैंसर होता है या नहीं।साल 2018 की अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट ने पाया कि रेडियो फ़्रीक्वेंसी रेडिएशन के ज़्यादा एक्सपोज़र से चूहों के दिल में एक तरह का कैंसर जैसा ट्यूमर हो गया।इस शोध के लिए चूहे के पूरे शरीर को मोबाइल फ़ोन के रेडिएशन के एक्सपोज़र में दो साल तक रखा गया और हर दिन नौ घंटे ये चूहे एक्सपोज़ होते थे।

मोहन भागवत संघ के शीर्ष पदाधिकारियों संग कल दिल्ली में करेंगे बैठक, यूपी चुनाव को लेकर करेंगे मंथन


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत कल यानी गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी का दौरा करेंगे। इस दौरान, मोहन भागवत संगठन के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ अनौपचारिक बैठकों में भाग भी ले सकते हैं। अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इसकी जानकारी दी।सुनील आंबेकर ने कहा कि सरसंघचालक  की यह दिल्ली की नियमित यात्रा है। इस दौरान वे कई बैठकें करेंगे। सभी सह सरकार्यवाह और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले  भी मौजूद रहेंगे। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में आगामी चुनाव के एजेंडे को लेकर मंथन किया जाएगा। सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले मोहन भागवत के साथ यूपी चुनाव और कोरोना महामारी समेत कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे। उत्तर प्रदेश में पिछले दो हफ़्ते से जिस तरह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के केंद्रीय नेताओं की बैठकों का दौर चल रहा है, उससे यूपी की राजनीति में हलचल मची हुई है। सरकार और संगठन में बदलाव की संभावनाओं के बीच दोनों स्तरों पर नेतृत्व परिवर्तन तक की चर्चा ज़ोर-शोर से हो रही है।हालांकि जानकारों को इसके बावजूद किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं दिख रही है। इन सबके बीच यूपी की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम फिर चर्चा में आ गया है जिसे चार महीने पहले उल्का पिंड की भांति यूपी की राजनीति में उतारा गया था। उनके ज़रिए बड़े बदलाव की संभावना भी जताई गई थी। यह नाम है पूर्व नौकरशाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद क़रीबी माने जाने वाले अरविंद कुमार शर्मा का,पिछले हफ़्ते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी यूपी की राजनीतिक नब्ज़ टटोलने के लिए लखनऊ आए थे\ इससे तीन दिन पहले, दिल्ली में उत्तर प्रदेश के राजनीतिक माहौल पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दत्तात्रेय होसबाले की अहम बैठक हुई थी।इस बैठक में यूपी बीजेपी के संगठन मंत्री सुनील बंसल भी शामिल हुए थे। यूपी की राजनीति पर चर्चा के लिए हुई इस अहम बैठक में न तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और न ही प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को बुलाया गया था. जानकारों की मानें तो सीएम योगी आदित्यनाथ को यह बात बुरी लगी थी।इस घटनाक्रम की पुष्टि बीजेपी के भी कुछ नेताओं ने की है और इसका सीधा राजनीतिक अर्थ यही निकाला जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ केंद्र सरकार या बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के रबर स्टैंप की तरह नहीं रहना चाहते और केंद्रीय नेतृत्व को यह स्पष्ट भी कर देना चाहते हैं।

 

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