जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) किसानों का ‘भारत बंद’ यूँ तो मंगलवार, 8 दिसंबर को है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक हलचल एक दिन पहले ही शुरू हो गई है। भारत बंद’ को देखते हुए केंद्र का राज्यों को निर्देश, कहा- सुरक्षा कड़ी और शांति सुनिश्चित की जाए ‘भारत बंद’ को देखते हुए केंद्र का राज्यों को निर्देश, कहा- सुरक्षा कड़ी और शांति सुनिश्चित की जाए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि मंगलवार को किसान संगठनों और उनके समर्थन में विपक्षी दलों द्वारा आहूत ‘भारत बंद के दौरान सुरक्षा कड़ी की जाए और साथ ही शांति सुनिश्चित की जाए।

यह जानकारी अधिकारियों ने दी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जारी देशव्यापी परामर्श में कहा कि राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन किया जाए और सामाजिक दूरी बनाए रखी जाए।गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को बताया गया है कि ‘भारत बंद के दौरान शांति और धैर्य बनाए रखा जाए और एहतियाती कदम उठाए जाएं ताकि देश में कहीं भी अप्रिय घटना नहीं हो। भारत बंद का आह्वान किसान संगठनों ने किया है जो संसद के मॉनसून सत्र में लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस, राकांपा, द्रमुक, सपा, टीआरएस और वामपंथी दलों जैसी बड़ी पार्टियों ने बंद का समर्थन किया है। लखनऊ में उत्तर प्रदेश पुलिस समाजवादी पार्टी की गतिविधियों पर नज़र रख रही है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को ही कहा था कि ‘वे किसानों की माँगों को वाजिब मानते हैं और वे किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद का समर्थन करेंगे.’ पर सोमवार सुबह यूपी पुलिस ने उनके घर के बाहर डेरा डाल दिया। मोदी सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब और हरियाणा के किसान बीते 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाया हुआ है. साथ ही, देश के कई ज़िलों में किसानों का प्रदर्शन जारी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सिंघु बॉर्डर का दौरा किया, जहाँ इस वक़्त प्रदर्शनकारी किसानों का सबसे बड़ा डेरा है।

उन्होंने दोहराया कि ‘आम आदमी पार्टी किसानों के साथ है।’ केंद्र सरकार ने किसानों से अपील की थी कि वो ऐसे किसी बंद का आह्वान ना करें और बच्चों व बूढ़ों को प्रदर्शन स्थलों से घर भेज दें। सरकार ने कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए किसानों से यह अपील की थी। लेकिन किसानों ने सरकार की यह अपील ठुकराते हुए 8 दिसंबर के भारत बंद का आह्वान किया है। किसान चाहते हैं कि केंद्र सरकार तीनों नये कृषि क़ानूनों को वापस ले। किसानों का कहना है कि इस नए क़ानून के कारण उन्हें अपना अनाज औने-पौने दाम पर बेचना होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था ख़त्म हो जाएगी।किसान बिल के खिलाफ दिल्ली में किसानों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है

तो यूपी में इसके समर्थन में समाजवादी पार्टी आज प्रदेश भर में किसान यात्राओं का आयोजन कर रही है। पुलिस ने प्रदेशभर में सपा नेताओं को घर में ही नजरबंद कर दिया है, वहीं कई पूर्व मंत्रियों समेत सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी हिरासत में लिया गया। प्रशासन ने पहले लखनऊ में उनके घर के बाहर बैरिकेडिंग की थी, जिसके बाद अखिलेश पास में ही धरने पर बैठ गए थे। करीब चार घंटे बाद अखिलेश को रिहा कर दिया गया। इसके बाद वह अपने आवास लौट गए। वाराणसी, लखनऊ, बरेली, मुरादाबाद, पीलीभीत, गोरखपुर, मेरठ सहित कई जिलों में सपा नेताओं के घर के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई है। कन्नौज में किसान यात्रा निकालने की जिद पर अड़ेे सपा कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। यहां भी कई नेताओं को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भेज दिया है।

‘अदानी-अंबानी कृषि क़ानून’वापस लो राहुल गांधी
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ ( प्रमुख संवाददाता )कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को भारत बंद से पहले सोमवार को किए एक ट्वीट में कहा, “8 दिसंबर को किसान क्रांति के समर्थन में शांतिपूर्ण भारत बंद है। हम इसका पूर्ण रूप से समर्थन करेंगे। देश के अन्नदाता से अत्याचार और अन्याय असहनीय है.‘अदानी-अंबानी कृषि क़ानून’वापस लो!”कांग्रेस ने कहा है कि मंगलवार को भारत बंद के दौरान लोगों को होने वाली असुविधा के लिए केंद्र सरकार ज़िम्मेदार होगी. वहीं दिल्ली पुलिस ने कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए गए हैं और लोगों की आवाजाही रोकने तथा ज़बरन दुकानें बंद करवाने वालों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।दिल्ली की सीमाओं पर हज़ारों किसान बीते 12 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें ज़्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हैं।किसान संगठनों ने किसान विरोधी “काले क़ानूनों के विरोध में” मंगलवार 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है जिसका विपक्ष ने पूरी तरह समर्थन किया है।

किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार शिवसेना
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) दिल्ली सीमा के पास किसानों के जारी आंदोलन के बीच शिवसेना ने सोमवार को कहा कि अगर केंद्र सरकार कृषि विपणन कानूनों को वापस ले लेगी तो यह उसकी ‘फिराखदिली’ होगी। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना में लिखे एक संपादकीय में ‘बिगड़ते हालात के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा गया कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है।संपादकीय में कहा गया, ‘किसान दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कृषि कानूनों को वापस लेने में सरकार को भी हिचकिचाने की कोई वजह नहीं है बल्कि यह उसकी’फिराखदिली होगी।’ हजारों किसान नये कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 11 दिन से देश की राजधानी दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए समर्थन बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक दलों और मनोरंजन जगत के साथ अब खेल की दुनिया से भी किसानों के लिए आवाज उठनी शुरू हो गई है। इस कड़ी में 30 खिलाड़ी अपने अवॉर्ड को वापस करने के लिए सोमवार को राष्ट्रपति भवन की तरफ बढ़े, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें बीच रास्ते में ही रोक दिया।

किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी पर बरसीं ममता बनर्जी
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली | (संवाददाता )पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी पर निशाना साधा है। ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा है कि किसी भी दल ने बीजेपी का समर्थन नहीं किया। ममता बनर्जी ने किसानों के प्रदर्शन पर कहा, ”कृषि कानून के मुद्दे पर किसी भी राजनीतिक दल ने बीजेपी का समर्थन नहीं किया, लेकिन पार्टी इस पर डटी हुई है।” इसके साथ ही ममता ने केंद्र सरकार पर एजेंसियों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र देश के संघीय ढांचे को तबाह करने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन वे हमें धमका नहीं पाएंगे।पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री के नागरिक सहायता और आपात राहत कोष (पीएम केयर्स) का पैसा कहां गया। बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार केंद्र की भाजपा नीत सरकार की इच्छा से काम नहीं करेगी। उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”पीएम केयर्स फंड का सारा धन कहां गया? क्या किसी को इस निधि के भविष्य के बारे में जानकारी है? लाखों करोड़ों रुपये कहां गये? कोई ऑडिट क्यों नहीं कराया गया? केंद्र सरकार हमें उपदेश दे रही है। उन्होंने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए हमें क्या दिया है।”

किसान आंदोलन के समर्थन में 30 खिलाड़ि अवॉर्ड वापस करना चाहते है
जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता ) किसान आंदोलन के समर्थन में ये सभी खिलाड़ी राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें अपना अवॉर्ड वापस करना चाहते थे। इन 30 खिलाड़ियों में शामिल पहलवान करतार सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा किे उऩके साथ पंजाह और कुछ अन्य राज्यों के खिलाड़ी अपना अवॉर्ड वापस करना चाहते हैं। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मांगी गई तो वे अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेंगे और राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने वाले मार्गों को बंद कर देंगे। सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच अब तक की वार्ता विफल रही है और इसकी छठे दौर की वार्ता बुधवार को होनी है।
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