UK में तेजी से फैल रहा ओमिक्रॉन, संक्रमितों की संख्या बढ़कर हुई 22, भारत में नई गाइडलाइन जारी,15 दिसंबर से चालू नहीं होंगीअंतरराष्ट्रीय उड़ानें,

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जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) यूनाइटेड किंगडम में कोरोना वायरस के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन के 22 मामले सामने आये हैं। ब्रिटेन में यह वेरिएंट तेजी से पांव पसार रहा है। मंगलवार को स्कॉटलैंड में तीन नए मामले आने के बाद कुल मामलो की संख्या 14 हो गई थी, जो अब बढ़कर 22 हो गई है. इसी के साथ एक बार फिर इंग्लैंड में सार्वजनिक स्थलों पर मास्क पहनने को अनिवार्य कर दिया गया है। ओमिक्रोन को लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने देश वासियों से सावधान रहने और प्रोटोकॉल का पालन करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना के इस वेरिएंट से बचाव की हर संभव कोशिश की जा रही है. उन्होंने लोगों से टीके की वूस्टर डोज लगवाने की भी अपील की है. वहीं, फ्रांस और जापान में भी ओमिक्रोन से जुड़े पहले मामले की पुष्टि हो गई है। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल 16 राज्यों के गवर्नर के साथ ओमिक्रोन को लेकर बैठक करेंगी।इधर, कोरोना के ओमिक्रोन वैरिएंट के प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार भी अलर्ट मोड पर आ गयी है. सरकार ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए भारत आने से जुड़े नियमों में बदलाव किये हैं. इसको लेकर संशोधित गाइडलाइन आज यानी बुधवार से प्रभावी हो जायेगी. यात्रियों को सफर शुरू करने से पहले अपनी ट्रेवल हिस्ट्री और निगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट केंद्र सरकार के एयर सुविधा पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। ओमिक्रोन मामूली बीमारी का कारण-रिपोर्ट: ओमिक्रोन वैरिएंट को समझने के मामले में यह बहुत शुरुआती दिन है. सेंटर फॉर प्लेनेटरी हेल्थ एंड फूड सिक्योरिटी, ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी साउथ ईस्ट क्वींसलैंड (ऑस्ट्रेलिया) के निदेशक हामिश मैक्कलम ने बताया कि अफ्रीका से मिले बहुत शुरुआती संकेत बताते हैं कि यह विशेष रूप से गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि एक बार आबादी में स्थापित हो जाने के बाद वायरस का कम प्रभावी (अर्थात कम गंभीर बीमारी का कारण) होना बहुत आम है। बताते चले की Omicron Variant का सबसे पहला केस साउथ अफ्रीका में आया। वहां के कुछ डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों ने बताया कि इस नए वेरिएंट से संक्रमित व्यक्तियों में क्या लक्षण दिख रहे हैं। उन्हीं लक्षणों को देखकर ये निष्कर्ष निकाला गया है।कोविड के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को जहां लोग नई आपदा के रूप में देख रहे हैं, वहीं दुनिया के कुछ डॉक्टर्स इसे अवसर मान रहे हैं। उनका कहना है कि ओमीक्रोन की वजह से कोविड महामारी के अन्त (End of Pandemic) को और ज्यादा स्पीड मिलेगी। डॉक्टर्स ने इसकी वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि ओमीक्रोन बहुत ज्यादा संक्रामक है। यानी तेजी से लोगों में फैल रहा है। लेकिन गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा है। ऐसे में दुनिया के लोगों में तेजी से ओमीक्रोन की वजह से एंटीबॉडी (Antibodies) पैदा होगी, जिससे कोविड महामारी को फैलने से रोकने में और ज्यादा आसानी होगी।


15 दिसंबर से चालू नहीं होंगीअंतरराष्ट्रीय उड़ानें,
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) ओमीक्रोन (Omicron) के खतरे को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय उड़ानें (International Flights)15 दिसंबर से बहाल करने का फैसला टाल दिया गया है। DGCA ने बुधवार को यह जानकारी दी। उधर,औरंगाबाद (Aurangabad) में सिनेमा, थिएटर,सभागार या सीमित स्थानों पर होने वाले किसी भी कार्यक्रम में 50 प्रतिशत लोगों को ही अनुमति होगी। डीजीसीए (DGCA) ने 15 दिसंबर से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों (International Flights) को बहाल करने का फैसला वापस ले लिया है। नागर विमानन महानिदेशालय ने कहा कि कोरोना वायरस (Covid 19) के नए वैरिएंट ओमीक्रोन (New Variant Omicron) के सामने आने के मद्देनजर यह कदम उठाया है। डीजसीए ने बताया कि कामर्शियल इंटरनेशनल फ्लाइट्स बहाल करने की तारीख की घोषणा सही समय पर की जाएगी। गौरतलब है कि कोविड-19 की वजह से पिछले साल 20 मार्च से ही सामान्य अंतरराष्ट्रीय उड़ानें स्थगित हैं। हाल ही में डीजीसीए के सचिव राजीव बंसल (Rajiv Bansal) ने 15 दिसंबर से इंटरनेशनल फ्लाइट्स शुरू करने की घोषणा की थी। लेकिन ओमीक्रोन के बढ़ते प्रकोप के बाद 27 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारियों को सावधानी बरतने के निर्देश दिए थे। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में राहत देने की योजना की समीक्षा करने को कहा था। डीजीसीए द्वारा बुधवार को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया कि वायरस के नए स्वरूप के आने के बाद उत्पन्न वैश्विक स्थिति के मद्देनजर हालात पर करीब से नजर रखी जा रही है। इससे जुड़े सभी हितधारकों से विचार-विमर्श किया जा रहा है। नियमित अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को बहाल करने की प्रभावी तारीख को लेकर उचित फैसले की जानकारी नियत समय पर अधिसूचित की जाएगी। गौरतलब है कि अभी विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते के तहत सीमित संख्या में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें ऑपरेट हो रही हैं। 24 अक्टूबर क भारत ने 31 देशों से उड़ानों के लिए औपचारिक समझौता किया था।

सरकार ने कहा-किसी भी किसान की मौत नहीं हुई
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) लोकसभा में लिखित जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मंत्रालय के पास किसान आंदोलन के दौरान किसी किसान की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए मृतक किसानों के परिजनों को मुआवजे का सवाल नहीं उठता। जबकि किसान संगठन 700 किसानों की मौत का दावा करते रहे हैं।कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार लगातार किसानों के संपर्क में है। आंदोलन कर रहे किसानों और सरकार के बीच 11 स्तर की बातचीत हुई है। तोमर ने बताया कि सरकार ने कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट्स एंड प्राइस की सलाह पर 22 फसलों के MSP घोषित किए हैं। सांसदों के निलंबन के विरोध में विपक्ष के भारी हंगामे के चलते लोकसभा 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। स्पीकर ओम बिरला ने सांसदों के इस व्यवहार पर कड़ी नाराजगी जताई और वे कुर्सी छोड़कर उठ गए। उनका कहना था कि सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है, लेकिन आप चर्चा के लिए तैयार ही नहीं हैं। प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस और डीएमके सांसदों ने लोकसभा से वॉकआउट कर दिया है। लोकसभा में We Want Justice के नारे लगते रहे।राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने खड़े होकर विरोध प्रदर्शन किया।सांसदों के निलंबन के मामले में आगे की रणनीति तय करने राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने सभी विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। विपक्ष निलंबन वापसी की मांग पर अड़ा है। जबकि सत्तापक्ष का तर्क है कि सांसद अगर माफी मांग लेते हैं, तो निलंबन वापस लिया जा सकता है।कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था-यहां पर ज़मींदारी या राजा नहीं है कि हम बात-बात पर इनके पैर पकड़ें और माफी मांगें। ये ज़बरदस्ती क्यों माफी मंगवाना चाहते हैं। इसे हम बहुमत की बाहुबली कह सकते हैं। ये लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। हमने राज्यसभा के उन 12 विपक्षी सदस्यों का समर्थन करने के लिए लोकसभा से वाकआउट किया है, जिन्हें निलंबित कर दिया गया है। मौजूदा शीतकालीन सत्र से निलंबन की कार्रवाई ‘पूर्वव्यापी प्रभाव’ की ओर इशारा करती है। माफी क्यों जारी की जानी चाहिए? सरकार का ये नया तरीका है। हमें डराने का, धमकाने का, हमें जो अपनी बात रखने का अवसर मिलता है उसे छीनने का नया तरीका है।

ममता की सिविल सोसायटी मीटिंग में पहुंचे जावेद अख्तर, महेश भट्‌ट,कांग्रेसी शत्रुघ्न सिन्हा,दिल्ली चलो के नारे के साथ मोदी को चैलेंज


जायज़ा डेली न्यूज़ दिल्ली (संवाददाता) मुंबई। दो दिन के दौरे पर मुंबई पहुंचीं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Mamta Banerjee)ने बुधवार को नरीमन पॉइंट स्थित वाईबी चव्हाण सेंटर( Y B Chavan Centre, Nariman Point) में समाज के विभिन्न वर्गों (Civil society Meeting)के साथ बैठक की। इसमें फिल्मी हस्तियों के साथ ही समाजसेवी और अन्य लोग भी शामिल हुए। लोगों से भरे हॉल में ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ तमाम मुद्दे उठाए। उन्होंने कहा कि कैसे मोदी सरकार ने उन्हें कलंकित करने और फंसाने की कोशिश की। उन्होंने पीएम केयर्स को एक स्कैंडल बताया। ममता ने कहा कि यदि सभी क्षेत्रीय पार्टियां साथ आती हैं तो भाजपा (BJP) को हराना बेहद आसान होगा। इस दौरान फिल्म अभिनेता और कांग्रेस नेता शत्रुघ्न सिन्हा, निर्माता महेश भट्‌ट, गीतकार जावेद अख्तर, मेधा पाटकर समेत तमाम हस्तियां मौजूद रहीं। ममता NCP चीफ शरद पवार(Sharad Pawar) के घर भी जाएंगी और उनसे मुलाकात करेंगे। जाकर उनसे मुलाकात करेंगी। ममता पश्चिम बंगाल में भले ही कांग्रेस से किनारा कर रही हों, लेकिन मुंबई की सिविल सोसायटी मीटिंग में कांग्रेस सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी शामिल रहे। बताया जा रहा है कि ममता बंगाल में कांग्रेस के कुनबे में भी सेंधमारी कर रही हैं और पार्टी के लोगों को टीएमसी (TMC) के साथ लाने में लगी हैं।


दौरे के पहले दिन आदित्य ठाकरे से की थी मलुाकात


मुंबई दौरे के पहले दिन ममता बनर्जी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे(Uddhav Thackeray) से मिलने वाली थीं, लेकिन ठाकरे की तबीयत खराब होने से यह मुलाकात नहीं हो सकी थी। ममता बनर्जी ने उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे और संजय राउत से मुलाकात की थी। इस पर आदित्य ने कहा था कि वे उनसे 2-3 साल पहले भी मिले थे, जब वे मुंबई आई थीं। ममता ने मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर में जाकर दर्शन भी किए थे।


भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने भी की थी तारीफ
कुछ दिन पहले ममता बनर्जी दिल्ली गई थीं। वहां उन्होंने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी (Subramanian Swamy)से मुलाकात की थी। ममता से मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि स्वामी जल्द टीएमसी में शामिल होंगे। हालांकि, अगले दिन स्वामी ने इससे इनकार किया था। उन्होंने भाजपा के लोगों को मूर्ख भी कहा था और मोदी सरकार को हर मुद्दे पर फेल बताया था।ममता बनर्जी ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया है। वे 2024 में खुद को नरेंद्र मोदी के सामने पेश करने जा रही हैं। मई में पश्चिम बंगाल में लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अचानक टीएमसी ने पॉलिटिकल मोड चेंज किया और नॉर्थ-ईस्ट, गोवा, बिहार सहित कई राज्यों में अपनी सक्रियता बढ़ाई। पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली में जाकर कई नेताओं से मुलाकात की थी। इसके बाद दो दिन के लिए मुंबई पहुंचीं।

अफगानिस्तान में ईरान बना भारत के लिए संकट मोचन,पाकिस्तान को लगेगा झटका


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) अफगानिस्तान पर तालिबान का राज आने के बाद से ही इस देश में भारत की भूमिका कमजोर होने की बातें कही जा रही हैं, लेकिन बीते 10 नवंबर को दिल्ली में हुई समिट के बाद चीजें बदलती दिखी हैं। इस समिट में भारत ने रूस, ईरान समेत 8 देशों को आमंत्रित किया था और इस बात पर सभी ने सहमति जताई कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए नहीं होना चाहिए। अफगानिस्तान के मसले पर भारत का सबसे स्वाभाविक सहयोगी इस्लामिक देश ईरान नजर आता है। इसकी अहम वजह यह है कि ईरान के भी पाकिस्तान से बहुत अच्छे ताल्लुक नहीं है और वह नहीं चाहेगा कि उसकी भूमिका अफगानिस्तान में मजबूत हो। इसके अलावा अफगानिस्तान से पैदा हो रहे इस्लामिक स्टेट के खतरे से निपटना भी जरूरी है। यह आतंकी संगठन भारत के अलावा ईरान की सबसे बड़ी चिंता है। इसकी वजह यह है कि सुन्नी कट्टरपंथी विचारधारा को मानने वाला इस्लामिक स्टेट शिया मुल्क ईरान को भी उतना ही दुश्मन समझता है, जितना भारत को। ईरान और पाकिस्तान भले ही ऊपरी तौर पर इस्लामिक मुल्क होने के नाते करीबी नजर आते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। दोनों देशों के बीच अकसर सीमा पर तनाव देखने को मिलता है। इसके अलावा पाकिस्तान की आईएसआई और ईरान की रिवॉलूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स के बीच अकसर भूरणनीतिक प्रतिद्वंद्विता रहती है। एक तरफ पाकिस्तान अकसर ईरान के खिलाफ जैश-अल-अदल और जंदुल्लाह जैसे संगठनों का इस्तेमाल करता है तो पाकिस्तान में बलोच विद्रोहियों को बढ़ावा देने में ईरान का हाथ बताया जाता रहा है। पाकिस्तान नहीं चाहता कि ईरान की भूमिका अफगानिस्तान में मजबूत हो। इसी तरह ईरान भी इस मुल्क में पाकिस्तान का रोल कमजोर ही देखना चाहता है। हाल में तालिबान के पाकिस्तान पर काबिज होने और फिर 5 सितंबर को आईएसआई के चीफ फैज हमीद के काबुल दौरे से ईरान भी सतर्क है। खासतौर पर पंजशीर वैली में विद्रोहियों के खिलाफ तालिबान से आईएसआई की मिलीभगत की खबरों ने ईरान में गुस्सा पैदा किया है। इसकी वजह यह है कि पंजशीर वैली में रहने वाले लोगों की बड़ी संख्या ईरानी मूल के लोगों की भी है। इसके अलावा तालिबान की बनाई सरकार में फारसी और दारी बोलने वाले अल्पसंख्यक समूहों को जगह न मिलना भी ईरान को झटका देने वाला था। ऐसे में ईरान ने अफगानिस्तान में अपनी नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए भारत को अहम साझीदार मानते हुए कदम बढ़ाए हैं। इस तरह आतंकवाद, कट्टरता और सुन्नी सांप्रदायिकता ऐसे मसले हैं, जिन पर भारत और ईरान की साझा चिंताएं हैं और दोनों देश मिलकर अफगानिस्तान में अपना कद बढ़ाने पर काम कर सकते हैं।

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