यूक्रेन में भारतीय छात्र की मौत
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता)युद्ध प्रभावित यूक्रेन के खारकीव शहर में मंगलवार सुबह गोलाबारी में एक भारतीय छात्र की मौत हो गई जो कर्नाटक का निवासी था। रूस के हमले के बाद यूक्रेन में जारी युद्ध में यह किसी भारतीय व्यक्ति की मौत का पहला मामला है। भारत ने यूक्रेन में एक भारतीय छात्र की मौत की पुष्टि की हैभारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसकी जानकारी दी है।भारत में यूक्रेन के राजदूत डॉ. इगोर पोलिखा ने कहा है कि मैं खारकीव में गोलाबारी में भारतीय सुनील शेखरप्पा के निधन पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। मरने वाले छात्र नवीन के साथी उसके ने बताया है कि नवीन बंकर से बाहर खाना लेने सुपरमार्केट गए थे और फिर नहीं लौटे।खार्किव में एक छात्र कोऑर्डिनेटर पूजा प्रहराज ने कहा कि वह केवल खाना लेने गया था। हॉस्टल में दूसरों के लिए हम खाना मुहैया कराते हैं। वह गवर्नर हाउस के ठीक पीछे एक फ्लैट में दो घंटे से कतार में खड़ा था। तभी अचानक एक हवाई हमले में गवर्नर हाउस को उड़ा दिया गया जिसमें नवीन मारा गया। 
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट में लिखा, “गहरे दुख के साथ हम इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि खारकीएव में गोलाबारी में एक भारतीय छात्र की मौत हो गई है। उन्होंने बताया कि मंत्रालय परिजनों के संपर्क में है और उन्होंने परिजनों के प्रति सहानुभूति प्रकट की है।” खारकीएव में नवीन के साथ रहने वाले एक भारतीय छात्र श्रीकांत चेन्नागौड़ा से बातचीत की हैनवीन ने अपने क़रीबी दोस्त श्रीकांत को पैसे ट्रांसफर करने का आग्रह किया था ताकि वो खाना ख़रीद पाएं। मेडिकल स्टूडेंट श्रीकांत ने कहा, “उसने मुझे सुबह 8 बजे फ़ोन किया और पैसे ट्रांसफ़र करने को कहा क्योंकि उसके पास खाने के लिए पैसे कम पड़ रहे थे। वो हम सब के लिए भोजन ख़रीदने गया था।श्रीकांत ने बताया, “मैंने पैसे ट्रांसफ़र कर दिए और पांच से दस मिनट के भीतर उसे फ़ोन किया लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया। इसके बाद मैंने उसके स्थानीय नंबर पर फ़ोन मिलाया. उसने फिर भी फ़ोन नहीं उठाया. उसके बाद किसी ने फ़ोन उठाया और यूक्रेनी भाषा में बात करने लगा जो मुझे समझ नहीं आती,श्रीकांत ने फ़ोन शेल्टर में मौजूद एक व्यक्ति को दियाबातचीत के बाद उस व्यक्ति ने श्रीकांत को बताया कि ‘तुम्हारा दोस्त अब नहीं रहा।कर्नाटक में हावेरी ज़िले के रानेबेन्नूर तालुक के चलगेरी गांव के रहने वाले नवीन पिछले चार साल से खारकीएव नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में श्रीकांत के साथ मेडिसिन की पढ़ाई कर रहे थे।

कल होगी रूस-यूक्रेन की दूसरी बैठक


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग बढ़ती ही जा रही है। बेलारूस में सोमवार को दोनों देशों के बीच हुई वार्ता बेनतीजा रही है। इस बीच रूस ने परमाणु ट्रायल की तैयारी भी शुरू कर दी है। खबरों के मुताबिक,यूक्रेन की राजधानी कीव की ओर 64 किलोमीटर लंबा रूसी सैन्य काफिला बढ़ रहा है। इसकी सैटेलाइट तस्वीरें भी जारी हुई हैं। वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में इमरजेंसी डिबेट के पक्ष में 29 वोट पड़े हैं। भारत समेत 13 देशों ने इस वोटिंग में भाग नहीं लिया। रूस और यूक्रेन के बीच दूसरे दौर की वार्ता बुधवार को होगी। यह जानकारी रूसी समाचार एजेंसी तास ने सूत्र के हवाले से दी है। वार्ता का पहला दौर सोमवार को बेलारूस और यूक्रेन की सीमा पर हुआ था। लगभग छह घंटे चली वार्ता का कोई परिणाम नहीं निकला था।यूक्रेन ने रूसी सेना को कीव के बाहर ही रोक रखा है। यह युद्ध का छठा दिन है। बीती रात रूस ने यूक्रेन पर भारी बमबारी की। उसने एक सैन्य बेस पर भी हमला किया। खबर है कि इस हमले में यूक्रेन के 70 से ज्यादा सैनिक मारे गए। रूसी सेनाओं ने यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खार्किव पर मंगलवार को बमबारी की। इसके साथ ही रूसी सेना यूक्रेन की राजधानी कीव के और करीब पहुंच गई है तथा करीब 40 मील के काफिले में रूस के टैंक और अन्य सैन्य वाहन कूच कर रहे हैं।

परमाणु युद्ध का खतरा,पुतिन ने अपने परिवार को ‘अंडरग्राउंड सिटी’ भेजा


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता)यूक्रेन से चल रहे युद्ध के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उनका परिवार लगातार कयासों और सुर्खियों में हैं। इसी बीच दावा किया जा रहा है कि पुतिन ने अपने परिवार को एक ऐसी अंडरग्राउंड सिटी में भेज दिया जहां परमाणु हथियार भी उनका कुछ नहीं कर पाएंगे। रूस के एक प्रोफेसर ने यह दावा करते हुए व्लादिमीर पुतिन के बारे में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। प्रोफेसर का दावा है कि पुतिन ने अपने परिवार को साइबेरिया की एक सीक्रेट जगह पर भेज दिया है।दरअसल, डेली मेल ने अपनी एक रिपोर्ट में मॉस्को स्टेस इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के प्रोफेसर रहे वालेरी सोलोवी के हवाले से यह जानकारी दी है। रिपोर्ट में प्रोफेसर ने कई सनसनीखेज दावे किए हैं। प्रोफेसर ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन ने इसलिए ऐसा किया है क्योंकि यदि परमाणु युद्ध शुरू हुआ तो वे अपने परिवार को सुरक्षित रख सकें। उन्होंने यह भी कहा कि इस जगह की लोकेशन को एकदम सीक्रेट रखा गया है।प्रोफेसर का कहना है कि पुतिन ने जिस भूमिगत शहर में अपने परिवार के सदस्यों को पहुंचाया है, वह साइबेरिया के अल्ताई पर्वत में स्थित है। यह एक लक्जरीपूर्ण और हाईटेक बंकर है। इतना ही नहीं इस बंकर को परमाणु युद्ध की स्थिति में सुरक्षा के लिए ही खास तौर पर डिजाइन किया गया है। यह खासकर पुतिन और उनके परिवार के लिए सीक्रेट तौर पर तैयार किया गया है, यहीं पुतिन के परिवार को ले जाया गया है।

यूक्रेन की दुर्गति अमेरिकी के कारण:अयातुल्ला खामेनेई


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) रूस द्वारा यूक्रेन पर किए जा रहे हमलों से ईरान अमेरिका पर भड़क गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा है कि अमेरिका और पश्चिमी देशों की नीतियों के कारण यूक्रेन में युद्ध जारी है। उन्होंने कहा है कि हम यूक्रेन में युद्ध रोकने के पक्ष में हैं। हम यूक्रेन में युद्ध खत्म होने की कामना करते हैं।अमेरिका को लताड़ते हुए खामनेई ने कहा है कि वाशिंगटन के माफिया शासन के कारण कई संकट पैदा हुए हैं। अमेरिका पश्चिम समर्थन नेताओं को स्थापित कर अन्य देशों में हस्तक्षेप करता है। यूक्रेन ऐसी ही अमेरिकी नीतियों का शिकार हो गया है। उन्होंने कहा है कि दुनिया के लोगों को यूक्रेन संकट से यह सबक सीखना चाहिए कि पश्चिम पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। अयातुल्ला खामनेई ने यूक्रेन मसले को लेकर अपने एक घंटे के भाषण में एक बार भी रूस का जिक्र नहीं किया। उन्होंने कहा है कि लोग सरकारों के सबसे महत्वपूर्ण समर्थक हैं और अगर यूक्रेन के लोगों ने उनकी सरकार का पूरा समर्थन किया होता, तो वे आज जहां हैं वहां नहीं होते।इससे पहले ईरान के विदेश मंत्री आमिर अब्दुल्लाहियन ने भी यूक्रेन मसले पर अमेरिका को लताड़ लगाई थी। उन्होंने कहा था है कि यूक्रेन संकट की जड़ें नाटो के उकसावे में है। हालांकि उन्होंने कहा है कि हम नहीं मानते कि युद्ध का सहारा लेना कोई समाधान है। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन मसले को लेकर युद्धविराम स्थापित करना और एक राजनीतिक और लोकतांत्रिक समाधान खोजना अनिवार्य है।

अब ताइवान पर चीन ने अमेरिका को दी धमकी


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद से ताइवान को लेकर भी लगातार अपडेट्स आ रहे हैं। चीन ने एक बार फिर ताइवान को लेकर अमेरिका को लताड़ा है। जो बाइडेन सरकार की रक्षा टीम के ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने अमेरिका को भारी कीमत चुकाने की चेतावनी दी है। चीन ने कहा है कि अमेरिका ताइवान की आजादी के लिए समर्थन दिखाने के लिए अपने कोशिशों के लिए भारी कीमत चुकाएगा।एक्सपर्ट्स मानते हैं कि जिस तरह रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, उसी तरह से चीन ताइवान पर हमला कर उसे कब्जाने की कोशिश कर सकता है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका के पूर्व जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ माइक एडमिरल (रिटायर्ड) मुलेन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ताइवान पहुंचा है। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने इस प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया है।मुलेन की यात्रा के अलावा पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ भी ताइवान पहुंच रहे हैं। मुलेन और पोम्पिओ दोनों ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन से मिलने वाले हैं।

यूक्रेन का रोना रोने वाले यमन की तबाही पर खामोश क्यों हैं?


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) यूक्रेन युद्ध को लेकर दुनिया भर में बातें की जा रही हैं लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि यमन के विनाशकारी युद्ध पर अब तक पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। यूनाइटेड नेशन इसे दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट बताता रहा है लेकिन यह संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट बताती है कि 80 फीसद यमनी लोगों को तत्काल मदद की जरूरत है। करीब 1।3 करोड़ लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं। एक लाइन में कहा जाए तो सऊदी से जारी छद्म युद्ध में यमन तबाह हो चुका है। आठ सालों से अधिक से जारी हिंसक संघर्ष में अब तक दस हजार से अधिक लोग मारे गए हैं और 40 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं। सिर्फ जनवरी 2022 में 650 से अधिक नागरिक मारे गए हैं या घायल हुए हैं।एक रिपोर्ट बताती है कि सालों की लड़ाई के बाद उत्तरी यमन और दक्षिणी यमन 1990 में संयुक्त यमन बनाने को राजी हुए। इससे शांति की उम्मीद बढ़ी लेकिन शांति आई नहीं। देश अभी भी गृहयुद्ध में फंसा हुआ है। दरअसल यमन के एकीकरण ने देश के उत्तर और दक्षिण हिस्सों में सक्रिय ताकतों को शांत नहीं किया। हूती विद्रोहियों सहित सरकार विरोधी ताकतों ने एकीकृत सरकार को चुनौती देना जारी रखा।फिर आया साल 2011। जब यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला सालेह को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह जनता के बीच विलेन बन गए थे। उन पर भ्रष्टाचार, बेरोजगारी को बढ़ावा देने जैसे कई आरोप लग रहे हैं। ये वही वक्त था जब अरब दुनिया में अरब स्प्रिंग आया था। सालेह के जाने के बाद उनके डिप्टी अब्दराबुह मंसूर हादी ने काम संभालने की कोशिश की लेकिन वह भी नाकाम रहे,2014 आते-आते हादी को लगने लगा कि वह भी सत्ता से हटा दिए जाएंगे। ऐसे में हूती विद्रोहियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और दोनों पक्षों के बीच सशस्त्र संघर्ष छिड़ गया। यमन सुन्नी-बहुसंख्यक सऊदी अरब के लिए एक रिंग बन गया, जो आधिकारिक सरकार का समर्थन करता है। दूसरी ओर शिया बहुल ईरान यमन में हूती विद्रोहियों का समर्थन करता है।संघर्ष जारी रहा और हूतियों ने यमन के उत्तर और राजधानी सना के अधिकतर हिस्से पर अपना कब्जा कर लिया। इसके बाद हादी को यमन के दक्षिणी इलाके में भागना पड़ा। बाद में वह जान बचाने के लिए सऊदी अरब पहुंच गए।

 

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