जायज़ा डेली न्यूज़ (संवाददाता) मुसलमनो को आज एक मामले में ज़ख़्म दिया गया है तो दूसरे में मरहम लगते हुए। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान विवाद मामले में सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया। श्रीकृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह को हटाने के मामले में बुधवार को ही वादी पक्ष के विष्णु जैन, हरीशंकर जैन और रंजन अगिनहोत्री ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा था। 1991 ऐक्ट के जरिए खारिज हुई याचिका मथुरा की सिविल कोर्ट ने श्रीकृष्ण विराजमान की याचिका पर विचार करने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 1991 के प्लेसेस ऑफ  वर्शिप ऐक्ट के तहत सभी धर्मस्थलों की स्थिति 15 अगस्त 1947 वाली रखी जानी है इस कानून में सिर्फ अयोध्या मामले को अपवाद रखा गया था।1968 के समझौते को गलत बताया गया था।बता दें कि 26 सितंबर को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व और शाही ईदगाह को हटाने को मांग को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया गया था। याचिका में जमीन को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया था। हालांकि इस याचिका को लेकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान ट्रस्ट का कहना है कि इस केस से उनका कोई लेना देना नहीं है। यह मुकदमा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, विष्णु शंकर जैन, हरिशंकर जैन और तीन अन्य ने दाखिल किया था। याचिका में कहा गया था कि मुसलमानों की मदद से शाही ईदगाह ट्रस्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया और ईश्वर के स्थान पर एक ढांचे का निर्माण कर दिया। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मस्थान उसी ढांचे के नीचे स्थित है।श्रीकृष्ण विराजमान, स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि और उक्त लोगों की ओर से पेश किए दावे में कहा गया कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है) और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच जमीन को लेकर समझौता हुआ था। इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन में बनी है, बनी रहेगी।

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हाथरस 25 लाख रुपये के मुआवजे और नौकरी देने का एलान

हाथरस गैंगरेप केस और जबरन अंतिम संस्कार को लेकर मचे घमासान के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीड़ित परिवार से बात की। सीएम योगी ने पीड़िता के पिता से विडियो कॉलिंग के जरिए बात की। इस दौरान उन्होंने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। साथ ही सरकार की तरफ से पीड़िता के परिवार को 25 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान किया गया है।इसी के साथ कनिष्ठ सहायक पद पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी। सूडा योजना के अंतर्गत हाथरस शहर में एक घर के आवंटन की घोषणा की गई। मामले की फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की अनुमति दी गई है। एसआईटी के 3 सदस्यीय कमिटी सभी बिंदुओं पर जांच करेगी।अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने जानकारी देते हुए बताया, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने हाथरस के पीड़ित परिवार से वीडियो कॉलिंग से बात की। लड़की के पिता ने मुख्यमंत्री से आरोपियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की। मुख्यमंत्री ने लड़की के पिता से बात करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया और प्रशासन को हर संभव मदद के निर्देश दिए।

बाबरी मस्जिद विध्वंस के फ़ैसले पर कांग्रेस का बयान

प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने बाबरी मस्जिद विध्वंस केस की सुनवाई करने वाली विशेष अदालत के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय और संविधान की परिपाटी से परे क़रार दिया है।कांग्रेस महासचिव और मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान जारी कर कहा, “सुप्रीम कोर्ट की पाँच न्यायाधीशों की खंडपीठ के नौ नवंबर, 2019 के निर्णय के मुताबिक़ बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक ग़ैर-क़ानूनी अपराध था. पर विशेष अदालत ने सब दोषियों को बरी कर दिया. विशेष अदालत का निर्णय साफ़ तौर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के भी प्रतिकूल है।”सुरजेवाला ने आगे कहा, “पूरा देश जानता है कि भाजपा-आरएएस और उनके नेताओं ने राजनीतिक फ़ायदे के लिए देश व समाज के सांप्रदायिक सौहार्द को तोड़ने का एक घिनौना षडयंत्र किया था. उस समय की उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार सांप्रदायिक सौहार्द को भंग करने की इस साज़िश में शामिल थी।” “यहाँ तक कि उस समय झूठा शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट तक को बरगलाया गया. इन सब पहलुओं, तथ्यों व साक्ष्यों को परखने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद को गिराया जाना ग़ैर-क़ानूनी अपराध ठहराया था।”सुरजेवाला ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपील करने की माँग करते हुए कहा, “संविधान, सामाजिक सौहार्द और भाईचारे में विश्वास करने वाला हर व्यक्ति उम्मीद और अपेक्षा करता है कि विशेष अदालत के इस तर्कविहीन निर्णय के विरुद्ध प्रांतीय व केंद्रीय सरकारें उच्च अदालत में अपील दायर करेंगी तथा बग़ैर किसी पक्षपात व पूर्वाग्रह के देश के संविधान और क़ानून की अनुपालना करेंगी. यही संविधान और क़ानून की सच्ची परिपाटी है.”

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