विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे पंचायत चुनावों में भाजपा,बसपा,पिछड़ी,सपा आगे कई जगह निर्दलियों ने भी मारी बाजी,अयोध्या में 40 में से 19 सीटें और वाराणसी में 40 सीटों में से 14 सीटें समाजवादी ने जीत ली,कानपुर में सपा ने 11 तो भाजपा ने 8 सीटें जीतीं

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ(संवाददाता) पंचायत चुनाव में सपा अपने गढ़ बचाने के साथ-साथ काफी मजबूती स्थिति में रही। वहीं, भाजपा अधिकतर जिलों में पिछड़ गई। बसपा एक-दो जिलों में ही मजबूत दिख रही है लेकिन निर्दलीय प्रत्याशियों ने सभी की गणित बिगाड़ दी । हर जिले में बड़ी संख्या में निर्दलीय जीते हैं।

 

इसमें से अधिकतर भाजपा से बगावत करके चुनाव लड़े हैं, दूसरी पार्टियों के कुछ बागी भी चुनाव जीते हैं। कई जिलों में निर्दलीय,अध्यक्ष बनाने में निर्णायक भूमिका में रहेंगे। कांग्रेस कहीं नजर नहीं आ रही है। इटावा में सपा का जिला पंचायत अध्यक्ष फिर तय है, यहां सपा-प्रसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा है।औऱैया में सपा, भाजपा से मामूली अंतर से आगे दिख रही है। यहां निर्दलियों की संख्या बसपा से ज्यादा दख रही है, यहीं निर्दलीय अंततः जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाने में निर्णायक होंगे। कन्नौज में भी सपा मजबूत दिखाई पड़ रही है। यहां कई सपा प्रत्याशी आगे चल रहे हैं लेकिन भाजपा भी कड़ी टक्कर दे रही है। कानपुर में भी भाजपा,सपा से पिछड़ गई।

सपा ने 11 तो भाजपा ने 8 सीटें जीतीं। यहां 6 सीटों के साथ बसपा को भी अच्छी सफलता मिली लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने में मुख्य भूमिका सात सीटों पर जीते निर्दलियों की होगी। फतेहपुर में सभी दलों को निर्दलीय पटकनी देते नजर आ रहे हैं, यहां आधी से अधिक सीटों पर निर्दलीय जीत रहे हैं। इसमें बड़ी संख्या में भाजपा के बागी शामिल हैं। यहां सबसे बड़ा दल भाजपा ही दिखाई पड़ रहा है लेकिन सपा ठीक उसके पीछे हैं। बसपा और कांग्रेस यहां बराबर पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। कानपुर देहात की 32 सीटों में सपा काफी आगे है जबकि भाजपा पीछे-पीछे लड़ती दिख रही है। बड़ी संख्या में भाजपा और सपा के बागी भी यहां चुनाव जीतते दिख रहे हैं। हरदोई में भाजपा बाकी दलों से काफी आगे दिख रही है, एक तिहाई से ज्यादा सीटों पर भाजपा की सीधी जीत दिख रही है। यहां दूसरे नंबर पर निर्दलियों की संख्या है। इसके बाद सपा और फिर बसपा दिख रही हैं। फर्रुखाबाद में सपा काफी मजबूत स्थिति में है, दूसरे नंबर पर भाजपा दिख रही है लेकिन बड़ी संख्या में निर्दलीय जीतने से जिला पंचायत अध्यक्षी में खासे संघर्ष की संभावना है।अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे पंचायत चुनावों ने अयोध्या और काशी में भाजपा को बड़ा झटका दिया है। राम की नगरी अयोध्या पर योगी सरकार का लगातार फोकस है। भव्य रामंदिर बनने के साथ अरबों रुपये के विकास कार्य हो रहे हैं। काशी से खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सांसद हैं। यहां भी विकास के जितने काम हो रहे हैं उतने देश के किसी भी शहर में शायद ही हो रहे हों। इसके बाद भी पंचायत चुनाव में अयोध्या और काशी दोनों जगह से आ रहे रिजल्ट भाजपा को परेशान करने वाले हैं। अयोध्या में 40 में से 19 सीटें समाजवादी ने जीत ली हैं। भाजपा को केवल 6 सीटें मिली हैं। इसी तरह वाराणसी में 40 सीटों में से सपा को 14 सीटें हासिल हुई हैं। भाजपा को केवल 8 सीटें मिल सकी हैं। यहां बसपा को 5, अद (एस) को 3, सुभासपा को 1, आप को 1 और तीन सीट पर निर्दल जीते हैं। अलीगढ़ जिला पंचायत सदस्य चुनाव के सोमवार की देर शाम तक आए नतीजों में भाजपा औंधे मुंह गिरी है। पार्टी को अपने ही गढ़ में हार का सामना करना पड़ा। 47 जिपं सदस्यों में से नौ वार्ड पर ही भाजपा समर्पित प्रत्याशी जीत का परचम फहरा पाए। पूर्व सीएम कल्याण सिंह व राज्यमंत्री संदीप सिंह के गृहक्षेत्र अतरौली ब्लॉक में एक वार्ड को छोड़कर तीन पर भाजपा को करारी शिकस्त मिली। परिणामों में सपा, बसपा, रालोद का प्रदर्शन बेहतर रहा। कांग्रेस का खाता इस चुनाव में नहीं खुल सका।जिपं सदस्य के 47 वार्डों की मतगणना सोमवार को भी जारी रही। रविवार देर रात से ही वार्डों के रुझान आना शुरू हो गए थे। सोमवार दोपहर 12 बजे तक अधिकतर वार्डों की तस्वीर साफ होनी शुरू हो गई। मतगणना केंद्रों पर समर्थकों की भारी भीड़ जमा थी। जैसे-जैसे नतीजे आते जा रहे थे, विजयी प्रत्याशियों के चेहरे खिलते नजर आए। कोविड-19 प्रोटोकॉल के चलते विजयी जुलूस तो नहीं निकले, लेकिन समर्थकों ने जीत का इजहार जरूर किया। परिणाम भाजपा के लिए अच्छे साबित नहीं हुए। सबसे बड़ी हार पार्टी प्रत्याशी खुशबू भारद्वाज की भाजपा के ही गढ़ कहे जाने वाले अतरौली ब्लॉक में हुई। वार्ड-8 में भाजपा समर्पित प्रत्याशी को निर्दलीय पुष्पेन्द्र लोधी ने करारी शिकस्त दी। इस ब्लॉक के चार वार्डों में से एक ही वार्ड-7 से प्रत्याशी प्रवेशवती ने जीत हासिल की।सपा के गढ़ कहे जाने वाले इटावा जिले में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी का परचम लहराया। जिला पंचायत सदस्य की 24 में से 20 सीटों पर सपा व प्रसपा के संयुक्त प्रत्याशियों को जीत मिली है। 17 सीटें पार्टी को मिलने से पार्टी के संभावित अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अभिषेक यादव अंशुल का जिला पंचायत अध्यक्ष बनना लगभग तय हो गया है। इसके पहले भी वही अध्यक्ष थे। अभिषेक यादव सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। भाजपा को जिले में भाजपा व बसपा एक एक सीट पर आगे चल रही है। जबकि दो निर्दलीय प्रत्याशी आगे हैं। भले ही विधानसभा चुनाव में तीन में से दो सीटों पर भाजपा के विधायक बन गए हैं और लोकसभा सीट पर भी भाजपा ने जीत हासिल कर ली। लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा को सफलता नहीं मिल सकी। यहां जिला पंचायत सदस्य के 24 पदों पर हुए चुनाव में एक तरह से भाजपा को करारी शिकस्त मिली है। 20 सपा प्रसपा प्रत्याशी जीत की ओर हैं। सपा प्रत्याशियों की जीत में प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का भी कम सहयोग नहीं रहा। 24 में 20 सदस्य सपा प्रसपा के आगे चलने से सपा का जिला पंचायत अध्यक्ष बनना तय हो गया है। बता दें कि इसके पहले भी सपा के ही जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक यादव अंशुल थे। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश के चचेरे भाई अंशुल यादव को अध्यक्ष बनाने के लिए ही पंचायत चुनाव शुरू होने से पहले ही प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने घोषणा कर दी थी कि वह इस चुनाव में परिवार के साथ रहेंगे और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर अपने भतीजे अभिषेक को फिर से अध्यक्ष बनाएंगे। यही कारण रहा कि 23 सीटों में सपा व प्रसपा ने संयुक्त रूप से अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे और बड़ी सफलता हासिल की। खास बात ये रही कि यहां पर भाजपा केवल तीन सीट ही जीत सकी, जबकि बसपा को भी केवल तीन सीटें ही मिली हैं। बुन्देलखंड में विधानसभा चुनाव के उलट सपा-बसपा का दबदबा दिख रहा है। यहां कहीं सपा तो कहीं बसपा आगे है, भाजपा सभी जिलों में लड़ाई में है लेकिन इन दोनों दलों से पिछड़ती नजर आ रही है। महोबा में सपा, भाजपा से एक सीट से आगे है लेकिन बसपा और कांग्रेस साफ हैं। यहां सबसे अधिक सात निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं। हमीरपुर में भाजपा और सपा ने 5-5 सीटों पर जीत हासिल की है। यहीं पांच निर्दलीय भी जीते हैं, जबकि बसपा दो पर सिमट गई है। उरई में बसपा सबसे आगे है, जबकि भाजपा दूसरे नंबर पर है। यहां भी भाजपा के बराबर ही निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं जो जिपं अध्यक्षी में निर्णायक होंगे। ललितपुर में भी सपा, भाजपा से एक सीट आगे है। बसपा यहां काफी पीछे है, पर पांच सीटों पर निर्दलीय जीते हैं। बांदा में बसपा ने अपनी स्थिति फिर मजबूत की है। यहां बसपा 11 जबकि भाजपा सात सीटों पर जीतती दिख रही हैं। बड़ी संख्या में यहां भाजपा बागियों ने जीत दर्ज की जिसमें पूर्व मंत्री शिवशंकर सिंह पटेल की पत्नी कृष्णा पटेल भी शामिल हैं। चित्रकूट में सपा काफी आगे है, यहां करीब-करीब आधी सीटों पर सपा की जीत निश्चित दिख रही है। दूसरे नंबर पर भाजपा जबकि बसपा काफी पीछे हैं। झांसी में सपा-बसपा के बीच रस्साकशी जारी है, भाजपा यहां तीसरे नंबर पर दिख रही है।

यूपी कोरोना के 29192 नए मामले, लखनऊ में 3058 केस, 288 की मौत,दो दिन और बढ़ाया लॉकडाउन
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) सोमवार को यूपी में 24 घंटे में 29,192 नए मरीजों की पुष्टि हुई है। जबकि कोरोना से 288 लोगों की मौत हुई है। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि सोमवार को 38,687 मरीज ठीक होकर घर लौटे हैं।यूपी में लगातार तीसरे दिन नए मरीजों की संख्या के अनुपात में डिस्चार्ज होने वाले लोग ज्यादा रहे। सोमवार को 29192 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज मिले, वहीं 38857 को स्वस्थ होने के बाद डिस्चार्ज किया गया है। प्रदेश में अब तक कुल 1342413 लोग संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से 1043134 लोग संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ हो चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में वर्तमान में 2.85 लाख से अधिक एक्टिव केस बचे हैं। प्रदेश में सक्रिय मरीजों की संख्या में भी तीसरे दिन भी कमी आई है। सोमवार को प्रदेश में कुल 288 मरीजों की संक्रमण से मौत हुई। इस तरह अब तक कुल 13447 मरीजों की प्रदेश में मौत हो चुकी है। अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने बताया कि एक सप्ताह से लगातार टेस्ट की संख्या बढ़ी है लेकिन मरीजों की संख्या में कमी आई है। रविवार को प्रदेश में कुल 229440 नमूनों जांच की गई है। इस तरह अब तक कुल 41591659 नमूनों की जांच प्रदेश में हो चुकी है।यूपी में कोरोना से भयावह होते हालात के बाद संपूर्ण लॉकडाउन लगाने का आदेश मिलने के बाद यूपी सराकर ने लॉकडाउन दो दिनों के लिए और बढ़ाने का निर्णय लिया है। अब 6 मई मतलब गुरुवार सुबह सात बजे तक बंदी रहेगी।

 बंगाल:इलेक्शन के बाद BJP के दफ्तरों और कार्यकर्ताओं पर हमले, गृह मंत्रालय ने मांगी रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को मिली जीत के बाद ममता बनर्जी का तीसरी बार मुख्यमंत्री बनना तय है। उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सोमवार को जानकारी दी है कि ममता बनर्जी पांच मई को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगी। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने सोमवार को कहा कि नव-निर्वाचित विधायकों ने यहां हुई बैठक में बनर्जी को सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुना है। तृणमूल विधायकों ने मौजूदा विधानसभा के अध्यक्ष विमान बनर्जी को नई विधानसभा का कार्यवाहक अध्यक्ष चुना है।


जायज़ा डेली न्यूज़ (संवाददाता)पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के दोहरा शतक लगाते हुए वापसी करने के बाद राज्य में कई जगह हिंसा की घटनाएं हुई हैं। सोमवार को भाटपारा के घोषपारा सड़क पर कुछ दुकानों और बीजेपी के दफ्तर में तोड़फोड़ की गई। बीजेपी ने इन हमलों के पीछे तृणमूल कांग्रेस का हाथ बताया है। साथ ही पार्टी का आरोप है कि उनके कार्यकर्ताओं पर भी कई हमले किए गए हैं। इन वहीं, घटनाओं के सामने आने के बाद गृह मंत्रालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगी है। बीजेपी का दावा है कि राज्य में टीएमसी की सरकार बनने के बाद कई जिलों में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले किए गए हैं और कई घरों में भी आग लगा दी गई है। इन हमलों को लेकर बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने सोमवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की। घोष ने कहा कि चुनाव के बाद बंगाल में शुरू हुई हिंसा में एक दिन में नौ लोगों की मौत हुई है। इस वजह से प्रदेश में डर का वातावरण बन गया है। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, ”सत्ताधारी पार्टी हाथ बांध कर बैठी है, पुलिस निष्क्रिय है। हम राज्यपाल के पास निवेदन लेकर आए थे, उन्होंने निवेदन स्वीकार किया और आश्वासन दिया है।” वहीं, भाटपारा में दुकानों में हुई लूट की घटना के बाद स्थानीय लोगों ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने इस घटना को अंजाम दिया है। एक शख्स ने कहा कि इलाके में कम से कम दस बम फेंके गए हैं। बंगाल में हमलों की विभिन्न रिपोर्ट्स के बाद गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया, ”गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से चुनावी नतीजों के बाद विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों को लेकर रिपोर्ट मांगी है।” उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। इससे पहले, रविवार को भी बीजेपी ने आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हुगली जिले में उसके पार्टी कार्यालय को आग लगा दी और शुभेंदु अधिकारी समेत उसके कुछ नेताओं के साथ हाथापाई की। पार्टी ने कहा कि यह सब तब किया गया जब चुनाव परिणामों में दिखा कि ममता बनर्जी की पार्टी बंगाल में अपनी सत्ता कायम रखने वाली है। हुगली में पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है और दोषियों को सजा दी जाएगी।

कोरोना के लिए ‘संपूर्ण लॉकडाउन’ ही एकमात्र उपाय,तीसरी लहर से और बड़े खतरे की आशंका


जायज़ा डेली नई दिल्ली (संवाददाता)केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने की तैयारी कर ली है। ‘कोरोना संक्रमण’ की चेन तोड़ने के लिए सारे देश में 21 दिन के लिए ‘बंदिशें’ लगाई जा सकती हैं। इस बार सेना और अर्धसैनिक बलों को अलर्ट कर दिया गया है। संभव है कि देश में संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान सेना मोर्चा संभालेगी। देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने तबाही मचा रखी है। सरकार ने इस पर नियंत्रण करने के लिए पूरा जोर लगा दिया है, लेकिन कोरोना के चलते मौतों में कमी नहीं आ रही है। राज्यों द्वारा अपनी समझ से लॉकडाउन या कर्फ्यू लगाने का फैसला लिया जा रहा है। किसी राज्य में सख्त लॉकडाउन है तो कहीं पर आंशिक बंदिशें हैं। कुछ राज्यों में कंटेनमेंट जोन को लेकर भी स्पष्ट नीति नहीं है। बेड, ऑक्सीजन सप्लाई और जरुरी दवाओं की कमी, कोरोना की लड़ाई में यह सब बड़ी बाधा के तौर पर उभरे हैं। इन सबके चलते कोरोना संक्रमण की चेन टूट नहीं पा रही है।
तीसरी लहर से और बड़े खतरे की आशंका
दूसरी तरफ कोरोना की तीसरी लहर के अंतर्गत कोविड के नए नए स्ट्रेन जो मौजूदा वायरस के मुकाबले हजार गुना तेजी से फैलते हैं, उनके मौजूद होने की आशंका जताई जा रही है। इन सबके चलते केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने की तैयारी कर ली है। देश में लॉकडाउन को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। केंद्र सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर में लॉकडाउन का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट, कोरोना टॉस्क फोर्स, वैज्ञानिक और डॉक्टर, इन सबके द्वारा कही गई बातों का विश्लेषण करें तो कोरोना की चेन तोड़ने के लिए ‘संपूर्ण लॉकडाउन’ ही एकमात्र उपाय नजर आता है। 

 

 

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