दो साल पहले ऐसे क़ानून से सैकड़ो भारतीयो की नौकरी चली गई थी
जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ ,प्रवासियों को लेकर कुवैत में तैयार हो रहे क़ानून ने खाड़ी देश में रह रहे भारतीयों के मन में उन ‘चिंताओं को फिर से जगा दिया है’ जब दो साल पहले नियमों में बदलाव के चलते सैकड़ों भारतीय इंजीनियरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था.अंग्रेज़ी अख़बार ‘अरब न्यूज़’ के मुताबिक़ कुवैत की नेशनल एसेंबली की क़ानूनी समीति ने प्रवासियों पर तैयार हो रहे एक बिल के प्रावधान को विधिसम्मत माना है.ख़बरों के मुताबिक़ मंज़ूरी के लिए इस प्रस्ताव को दूसरी समितियों के पास भेजा जाने वाला है. इस क़ानून के मसौदे में कहा गया है कि कुवैत में रहने वाले भारतीयों की तादाद को देश की कुल आबादी के 15 फ़ीसद तक सीमित किया जाना चाहिए.समझा जाता है कि वहां रहनेवाले तक़रीबन 10 लाख प्रवासी भारतीयों में से आठ या साढ़े आठ लोगों को बिल के पास होने की सूरत में वापस लौटना पड़ सकता है.सऊदी अरब के उत्तर और इराक़ के दक्षिण में बसे इस छोटे से मुल्क की तक़रीबन पैंतालीस लाख की कुल आबादी में मूल कुवैतियों की जनसंख्या महज़ तेरह-साढ़े तेरह लाख ही है.यहां मौजूद मिस्र, फिलिपीन्स, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और दूसरे मुल्कों के प्रवासियों में सबसे अधिक भारतीय हैं.