भाजपा में भगदड़:अब मंत्री डॉ.धर्म सिंह सैनी का इस्तीफा अब तक 3 मंत्रीयों समेत 14 विधायक रूख़सत अखलेश से मिलने के बाद बोले सैनी कि योगी सरकार के दो और मंत्री देंगे इस्तीफा

सैनी बोले- 20 जनवरी तक ऐसे ही भाजपा छोड़ते रहेंगे विधायक
योगी कैबिनेट से इस्तीफा देने वाले धर्म सिंह सैनी ने दावा किया है कि 20 जनवरी तक हर रोज एक मंत्री और तीन-चार विधायक इस्तीफा देंगे। हम वही करेंगे जो स्वामी प्रसाद मौर्य करेंगे। उन्होंने कहा कि मैंने इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि पांच साल तक दलितों, पिछड़ों को दबाया गया है। उनकी आवाज को दबाया गया है।

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) में भगदड़ सी मच गई है।यूपी की योगी सरकार में पिछड़े समाज से आने वाले मंत्रियों के इस्तीफा देने का सिलसिला जारी है। स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान के बाद डॉ. धर्म सिंह सैनी ने भी इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। उनका सपा में जाना तय माना जा रहा है।अखिलेश यादव ने डॉ. धर्म सिंह सैनी का स्वागत किया और उनकी तस्वीर ट्विटर पर शेयर की। उन्होंने लिखा कि‘सामाजिक न्याय’ के एक और योद्धा डॉ. धर्म सिंह सैनी के आने से, सबका मेल-मिलाप-मिलन कराने वाली हमारी ‘सकारात्मक और प्रगतिशील राजनीति’ को और भी उत्साह व बल मिला है। सपा में उनका ससम्मान हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन है। आगे उन्होंने कहा कि बाइस में समावेशी-सौहार्द की जीत निश्चित है।डॉ. सैनी ने कहा कि डॉ. सैनी ने कहा कि योगी सरकार के दो और मंत्री इस्तीफा देंगे।

उनके साथ ही कई और विधायक भी भाजपा का साथ छोड़ेंगे। इसके पहले, लखीमपुर खीरी की धौरहरा विधानसभा सीट से पांच बार के विधायक और भाजपा नेता बाला प्रसाद अवस्थी ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह सपा कार्यालय पहुंचे। विनय शाक्य ने भी इस्तीफा दे दिया और सपा कार्यालय पहुंचे।। उनके साथ ही कई और विधायक भी भाजपा का साथ छोड़ेंगे। इसके पहले, लखीमपुर खीरी की धौरहरा विधानसभा सीट से पांच बार के विधायक और भाजपा नेता बाला प्रसाद अवस्थी ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद वह सपा कार्यालय पहुंचे। विनय शाक्य ने भी इस्तीफा दे दिया और सपा कार्यालय पहुंचे। उत्तर प्रदेश में लगातार भाजपा को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। सहारनपुर की नकुड़ सीट से भाजपा विधायक धर्म सिंह सैनी ने सरकारी आवास और सिक्योरिटी भी छोड़ दी है। सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिकआज इस्तीफा देने वाले विधायकों में विनय शाक्य और मुकेश वर्मा बाला प्रसाद अवस्थी और राम फेरन पांडे ने भी बीजेपी से इस्तीफा दे दिया है।अब तक कुल 11 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। इनमें स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे मंत्री भी शामिल हैं,आपको बता दें कि यह सिलसिला आज भी जारी रहा। बीजेपी के पांच विधायकों ने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने भी स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान की तरह मंत्री पद छोड़ दिया है। श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के योगी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने और सपा में शामिल होने के बाद से ही माना जा रहा था कि धर्म सिंह सैनी भी स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही सपा में शामिल होंगे। सहारनपुर की नकुड़ विधानसभा सीट से चार बार के विधायक रहे डॉ.धर्म सिंह सैनी ने गत चुनाव में कांग्रेस के इमरान मसूद को हराया था। इमरान मसूद भी गत दिवस सपा में शामिल हो गए हैं।धर्म सिंह सैनी के सपा के टिकट पर नकुड़ विधानसभा सीट से ही लड़ने की संभावना है।स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही डॉ. धर्म सिंह सैनी ने बसपा छोड़ कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। इसके बाद भाजपा ने 2017 के विस चुनाव में नकुड़ सीट से ही लड़वाया था, जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की थी। योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में वह आयुष राज्यमंत्री थे।1. स्वामी प्रसाद मौर्य : योगी कैबिनेट में श्रम मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने भाजपा छोड़ दी। वे 3 बार पडरौना सीट से विधायक रहे। 2007 और फिर 2012 में 2 बार बसपा से विधायक रहे। 2017 चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए। यहां से उन्हें टिकट मिला और जीत हासिल की। मौर्य के बेटे को भी भाजपा ने टिकट दिया था, लेकिन वह हार गए। बेटी भी भाजपा के टिकट पर 2019 में सांसद चुनी गई।2. दारा सिंह चौहान: दारा सिंह चौहान पहली बार 1996 में राज्यसभा सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2009 से 2014 तक बसपा के टिकट पर मऊ की घोसी लोकसभा सीट से सांसद रहे। 2014 में भी बसपा से ही चुनाव लड़े थे, लेकिन हार गए। तब भाजपा प्रत्याशी हरिनारायण राजभर ने चौहान को 1.45 लाख वोटों से हराया था। 2017 चुनाव से पहले दारा सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी ने उन्हें पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया। 2017 विधानसभा चुनाव मधुबन सीट से भाजपा के टिकट पर लड़े और जीत हासिल की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में इन्हें वन, पर्यावरण मंत्री भी बनाया गया।3. धर्म सिंह सैनी : 2012 में धर्म सिंह सैनी ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। 2017 चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए और फिर जीत गए। योगी सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। अब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।4. राधा कृष्ण शर्मा : पंडित आरके शर्मा ने 2007 में बसपा के टिकट पर बरेली की आंवला सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और पहली ही बार में विधायक बन गए। इसके बाद 2012 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। फिर 2017 में बदायूं की बिल्सी विधानसभा सीट पर भाजपा से टिकट लेकर उन्होंने दांव खेला और फिर जीत गए।

5. राकेश राठौर : राकेश राठौर व्यापारी थे। 2007 के विधानसभा चुनाव में BSP के टिकट पर सदर सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन राजनैतिक करियर में अच्छी पैठ न होने के चलते चुनाव हार गए। कुछ सालों तक राजनीतिक गलियारों में पैठ बनाई। इसके बाद वह गतवर्ष हुए विधानसभा चुनाव में BJP के टिकट पर सीतापुर की सदर सीट से चुनाव लड़े। इसमें उनको जीत हासिल हुई। राकेश राठौर शुरूआती दिनों में ही तालमेल ठीक न होने के कारण सरकार को कोसने लगे।

6. माधुरी वर्मा : बहराइच जिले की नानपारा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की विधायक माधुरी वर्मा ने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। माधुरी वर्मा की छवि दलबदलू नेत्री की रही है। वह 2010 से 2012 तक पहली बार बहराइच श्रावस्ती क्षेत्र से बसपा समर्थित उम्मीदवार के रूप में विधानपरिषद सदस्य निर्वाचित हुई थीं। माधुरी वर्मा 2012 में कांग्रेस के टिकट पर नानपारा सीट से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुईं थीं। फिर 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा और लगातार दूसरी बार नानपारा सीट से विधानसभा पहुंचीं। माधुरी वर्मा के पति और पूर्व विधायक दिलीप वर्मा की बीते साल मई में 14 साल बाद समाजवादी पार्टी में वापसी हुई थी।7. दिग्विजय नारायण चौबे : 2012 में संतकबीर नगर के खलीलाबाद से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। 2017 में फिर से चुनाव लड़े और जीत गए। अब भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए हैं।

8.भगवती सागर : कानपुर देहात के गोपालपुर के रहने वाले भगवती प्रसाद सागर की राजनीतिक यात्रा बामसेफ से शुरू हुई। वर्ष 1993 में वह बसपा के टिकट पर भोगनीपुर से चुनाव लड़कर विधायक बने। वर्ष 1996 में उन्होने क्षेत्र बदल दिया। बिल्हौर में बसपा के टिकट पर उन्होने सपा के शिवकुमार बेरिया को हराया। प्रदेश में बसपा की सरकार बनी तो वह राज्यमंत्री बने। वर्ष 2002 में भी उन्होंने बिल्हौर से किस्मत आजमाई लेकिन शिवकुमार बेरिया से चुनाव हार गए। अगली बार 2007 में उन्होंने झांसी की मऊरानीपुर सीट को चुना तो किस्मत ने भी साथ दिया और वह विधायक बन गए। मायावती की सरकार में वह फिर से राज्यमंत्री बने। 2012 में उन्होंने बसपा छोड़कर खुद को राजनीति से दूर कर लिया और योग गुरु से जुड़ गए। हालांकि यह स्थिति सिर्फ एक चुनावी सत्र ही रही। 1996 में वह बिल्हौर से जीत चुके थे और भाजपा को बिल्हौर में अपनी जीत का खाता खोलना था। इसके लिए वह और भाजपा एकदूसरे के करीब आए। 2017 में वह भाजपा के टिकट पर बिल्हौर से लड़े और फिर से विधायक बने।

9. बृजेश प्रजापति : बृजेश प्रजापति ने बसपा से आकर भाजपा का दामन थामा था। बृजेश बसपा सरकार में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग सदस्य के पद पर रहे। 2012 में चुनाव प्रभारी व विधानसभा तिंदवारी से बसपा प्रत्याशी रहे। बसपा ने बाद में टिकट काट दिया। इसके बाद कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ इन्होंने 2017 में भाजपा का दामन थामा और मोदी लहर में विधायक बने।

10. रोशन लाल वर्मा : शाहजहांपुर के तिलहर से विधायक रोशन लाल वर्मा सबसे पहले 2007 में बसपा से विधायक रहे। 2012 के चुनाव में भी बसपा से विधायक बने। 2016 में बसपा से निष्कासन के बाद भाजपा का दामन थाम लिया। 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत गए। अब सपा में शामिल हो गए।

11. विनय शाक्य : औरैया के बिधूना से विधायक विनय शाक्य 2007 और 2012 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। 2017 से पहले इन्होंने पाला बदल लिया और भाजपा के साथ जुड़ गए।

12. अवतार सिंह भड़ाना : हरियाणा में फरीदाबाद के रहने वाले अवतार सिंह भड़ाना 64 साल के हैं। इनका राजनीतिक सफर लंबा है। कांग्रेस के टिकट वह फरीदाबाद से तीन बार और मेरठ से एक बार सांसद रहे चुके हैं। 2017 में भाजपा से मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर उन्होंने भाजपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ा और बहुत कम वोटों से वह चुनाव जीत सके। भाजपा के विधायक रहते हुए अवतार भड़ाना ने 2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा की फरीदाबाद सीट से कांग्रेस के सिंबल पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और मौजूदा केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर से रिकार्ड मतों से हार गए।

13. मुकेश वर्मा : 2012 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मुकेश वर्मा ने चुनाव लड़ा था और हार गए। 2017 चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हो गए। शिकोहाबाद से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते। अब उन्होंने इस्तीफा दे दिया है।

14. बाला प्रसाद अवस्थी : 2007 में बसपा के टिकट पर लखीमपुर खीरी से चुनाव लड़ने वाले बाला प्रसाद अवस्थी ने एक बार फिर दल बदल लिया है। 2017 चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हुए थे। अब वह सपा में शामिल हो गए हैं।

पाकिस्तान मे बदलाव नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति,में 100 साल तक भारत के साथ शांतिपूर्ण रिश्तों पर ज़ोर,आर्थिक सुरक्षा को सबसे ज़्यादा अहमियत


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) पाकिस्तान भले ही आतंकी घुसपैठ और छद्म युद्ध के जरिए भारत को लगातार निशाना बनाने से बाज नहीं आ रहा है, लेकिन उसने अपनी नई पॉलिसी में 100 साल तक शांतिपूर्ण रिश्तों की बात कही है। नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में पाकिस्तान ने भारत के साथ अगले 100 साल तक शांति पूर्ण रिश्तों, सामान्य कारोबार और आर्थिक संबंधों की बात कही है। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान शुक्रवार को इस पॉलिसी ड्राफ्ट को रिलीज करेंगे। पाकिस्तान के अहम अंग्रेज़ी अख़बार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने 2022 से 2026 तक की अवधि के लिए पॉलिसी डॉक्युमेंट तैयार किया है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इस डॉक्युमेंट में कश्मीर के बिना फ़ाइनल समाधान, भारत से द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने की बात कही गई है। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इस डॉक्युमेंट की कुछ चीज़ें ही बाहर आई हैं जबकि मुख्य दस्तावेज़ को सार्वजनिक नहीं किया गया है.यही नहीं इस पॉलिसी के तहत जम्मू-कश्मीर की समस्या के हल के लिए इंतजार की भी बात नहीं कही गई है। पॉलिसी में कहा गया है कि भारत के साथ वार्ता चल रही है और हमारे संबंध शांतिपूर्ण होंगे। भारत की ओर से अपने राज्य जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध बिगड़े हैं। अगस्त, 2019 में भारत के फैसले के बाद पाकिस्तान ने कारोबार बंद कर दिया था। यही नहीं बीते साल एक बार फिर से पाकिस्तान ने कहा था कि जब तक भारत जम्मू-कश्मीर को लेकर अपना फैसला नहीं बदलता है तब तक सामान्य कारोबार संभव नहीं हो सकेगा। पाकिस्तान की नई पॉलिसी में सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की छाप दिखती है। वह पहले भी कह चुके हैं कि हमें इतिहास को भुलाते हुए भूआर्थिकी पर ध्यान देते हुए विदेश नीति के बारे में फैसले लेने होंगे। हालांकि यह सप्ष्ट नहीं है कि इस ड्राफ्ट में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर को लेकर अपने स्टैंड पर विचार करने की बात कही है या नहीं। भारत की बात करें तो उसने लगातार यह स्पष्ट किया है कि दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंधों के लिए य़ह जरूरी है कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद पर लगाम कसे। हालांकि अब तक पाकिस्तान की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है। यही नहीं बुधवार देर रात भी पाकिस्तान के रहने वाले आतंकी बाबर भाई को सुरक्षा बलों ने जम्मू कश्मीर के कुलगाम में मार गिराया। बाबर जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा आतंकी था, जो बीते 4 सालों से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय था और कई हमलों को अंजाम देने में इसका हाथ था।

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