रमजान का आखिरी जुमा: मस्जिद में यहूदियों का विरोध कर रहे हजारों नमाजियों पर इजरायल का हमला, 205 रोजेदार घायल

जायज़ा डेली न्यूज़ लखनऊ (संवाददाता) इजरायल की पुलिस ने पूर्वी जेरुसलम स्थित अल-अक़्सा मस्जिद में भीड़ जुटा कर नमाज पढ़ रहे मुस्लिमों पर हमला किया, जिसमें 205 रोजेदार घायल हो गए। इनमें से अधिकतर फिलिस्तानी थे। जेरुसलम को लेकर पिछले एक सप्ताह से फिर से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष चालू है।

शुक्रवार को रमजान महीने का आखिरी जुमा था, ऐसे में अल-अक़्सा मस्जिद में हजारों लोग जुटे हुए थे। पुलिस का इलज़ाम है|की वहाँ इजरायल के खिलाफ नारेबाजी हुई और फिलिस्तानियों ने आरोप लगाया कि यहूदियों ने मुस्लिमों को उनके घर से निकाल कर कब्ज़ा कर लिया है। नमाज के बाद भी कई लोग वहाँ रुक कर इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। ‘शेख जर्राह’ इलाके के लोगों के समर्थन में कुछ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता भी पहुँचे हुए हैं।इजरायल की पुलिस और सेना ने पानी, आँसू गैस और रबर कोटेड बुलेट्स से हमला बोला है। साथ ही उन्होंने पिछले कुछ महीनों से फिलिस्तीन के खिलाफ ग्रेनेड्स का प्रयोग भी किया है।

दर्जनों फिलिस्तीनियों को गिरफ्तार किया गया है।अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा है कि वो जेरुसलम में हिंसा को लेकर चिंतित है और दोनों ही पक्षों से तनाव कम करने के लिए निर्णायक कदम उठाने का आग्रह करता है। अमेरिका ने कहा कि रमजान के आखिरी हफ्ते में ऐसी हिंसा ठीक नहीं है और फिलिस्तीनी परिवारों के लिए वो चिंतित है।यरूशलम में स्थित यह मस्जिद इस्लाम धर्म में मक्का और मदीना के बाद तीसरा पवित्र स्थल है। यरूशलम पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के जीवनकाल के दौरान और उनकी मृत्यु के तुरंत बाद के वर्षों के दौरान एक दूरदर्शी प्रतीक रहा जैसा कि मुस्लिमों ने इराक और उसके बाद सीरिया को नियंत्रित किया लेकिन यरुशलम 640 ईस्वी के दशक में मुस्लिमों के नियन्त्रण आया था, जिसके बाद यरूशलम एक मुस्लिम शहर बन गया और यरूशलम में अल अक्सा मस्जिद मुस्लिम साम्राज्य में सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक बनी। इस शहर के जटिल और युद्ध के इतिहास के दौरान, अक्सा मस्जिद यरूशलम के लिए संघर्ष स्थल रहा है। मुस्लिम, ईसाई और यहूदी सभी के साथ मस्जिद के नीचे की जमीन को विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, जिस कारण इस जमीन के इतिहास को समझने का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी क़ाबुल में स्कूल के बाहर धमाका 25 लोगों की मौत,स इलाक़े में शिया हज़रा समुदाय की बड़ी आबादी रहती है


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता) अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी क़ाबुल में एक स्कूल के बाहर हुए धमाके में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई है जबकि 52 लोग घायल हो गए हैं। समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारिक़ अरियान ने कहा, “दुख की बात है कि 25 लोगों की मौत हो गई है और 52 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

“वहीं, समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ग़ुलाम दस्ताग़ीर नाज़री के हवाले से लिखा है कि अब तक 46 लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।आशंका जताई जा रही है कि धमाके में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। रॉयटर्स के अनुसार तारिक़ अरियान ने कहा कि घायलों में अधिकतर छात्राएं हैं. उन्होंने ये नहीं बताया कि धमाके की वजह क्या थी और धमाका किसे निशाना बना कर किया गया था। धमाका क़ाबुल के पश्चिम में मौजूद दश्त-ए-बार्ची के एक स्कूल के बाहर हुआ जहां छात्र मौजूद थे। एएफ़पी के अनुसार जिस वक्त धमाका हुआ उस वक्त आम लोग भी पास के बाज़ार में इद-उल-फित्र के लिए सामान खरीदने निकले थे। मुसलमानों के पवित्र माने जाने वाले रमाज़ान के ख़त्म होने पर इद-उल-फित्र त्याहोर मनाया जाता है।

इस इलाक़े में शिया हज़रा समुदाय की बड़ी आबादी रहती है और हाल के सालों में ये समुदाय कथित इस्लामी चरमपंथी समूह इस्लामिक स्टेट के निशाने पर रहा है। स्थानीय मीडिया में आ रही ख़बरों के अनुसार यहां मौज़ूद सरकारी सैकंडरी स्कूल के पास धमाके की तेज़ आवाज़ सुनी गई है. जिस वक़्त धमाक हुआ उस वक़्त छात्र स्कूल से आ रहे थे।सोशल मीडिया पर आ रही तस्वीरों में यहां-वहां पड़े स्कूल बैग और जली हुई गाड़ियां देखी जा सकती हैं।

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