दिल्ली में ट्रैक्टर रैली काफी सफलतापूर्वक हुई, जो घटना घटी उसके लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदारः राकेश टिकैत
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता )भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि कल दिल्ली में ट्रैक्टर रैली काफी सफलतापूर्वक हुई। अगर कोई घटना घटी है तो उसके लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदार रहा है। कोई लाल किले पर पहुंच जाए और पुलिस की एक गोली भी न चले। यह किसान संगठन को बदनाम करने की साजिश थी। किसान आंदोलन जारी रहेगा।  

जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी है।

पुलिस ने कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और कम से कम 200 लोगों को हिरासत में लिया है। दिल्ली पुलिस ने अपनी एक एफआईआर में मेधा पाटेकर, बूटा सिंह, योगेंद्र यादव समेत 37 किसान नेताओं को दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया है। दिल्ली पुलिस ने बुधवार को किसान नेताओं के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर के बारे में जानकारी देते हुए कहा, ”37 किसान नेताओं- मेधा पाटकर, बूटा सिंह, योगेंद्र यादव आदि को दिल्ली पुलिस की एक एफआईआर में कल की हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। एफआईआर में कहा गया है कि गणतंत्र दिवस की परेड को बाधित करने के लिए किसानों की रैली और पारस्परिक रूप से सहमत मार्ग का पालन नहीं करने जैसे कार्य किए गए थे।” पुलिस के अधिकारियों ने बताया है कि पुलिस ने 200 लोगों को हिरासत में लिया है और हिंसा के सिलसिले में अब तक 22 प्राथमिकी दर्ज की हैं। हिंसा में 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। राष्ट्रीय राजधानी में हिंसा फैलाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने जिन किसान नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है उनमें- राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, वीएम सिंह, विजेंदर सिंह, हरपाल सिंह, विनोद कुमार, दर्शन पाल, राजेंद्र सिंह, बलवीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह, जगतार बाजवा, जोगिंदर सिंह उगराहां के नाम भी शामिल बताए जा रहे हैं।


किसान आंदोलन में पड़ी दरार, वीएम सिंह हुए अलग, भानु गुट का भी चिल्ला बॉर्डर से हटने का एलान
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता )दिल्ली में किसान परेड के दौरान उपद्रवियों द्वारा की गई हिंसा के बाद आंदोलनों को खत्म किया जाने लगा है। दो किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे आंदोलन को वापस लेने का ऐलान किया है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन और भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने गाजीपुर और नोएडा बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन को वापस ले लिया। इसके साथ भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत पर गंभीर आरोप भी लगाए। किसान मजदूर संगठन के नेता वीएम सिंह ने कहा कि हम लोगों को पिटवाने के लिए यहां नहीं आए हैं। देश को हम बदनाम नहीं करना चाहते हैं। वीएम सिंह ने कहा कि राकेश टिकैत ने एक भी मीटिंग में गन्ना किसानों की मांग नहीं उठाई। देश के 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर मंगलवार को विभिन्न किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं से किसान ट्रैक्टर परेड निकाली थी। यह परेड आगे जाकर हिंसक घटनाओं में तब्दील हो गई थी। कई किसानों की परेड तो तय रूट पर गई थी, लेकिन कई किसान दिल्ली में उन जगहों पर ट्रैक्टर लेकर चले गए थे, जिनकी अनुमति नहीं मिली थी। इस दौरान, किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस छोड़े थे। उपद्रवियों ने काफी देर तक लालकिले में भी हुड़दंग मचाया था। दिल्ली में हिंसक घटनाओं के बाद किसान नेता वीएम सिंह ने बुधवार को कहा, ”हम किसी ऐसे व्यक्ति (राकेश टिकैत) के साथ विरोध को आगे नहीं बढ़ा सकते, जिसकी दिशा कुछ और हो। इसलिए, मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं, लेकिन वीएम सिंह और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति इस विरोध को तुरंत वापस ले रही है।” सिंह ने कहा कि सरकार की भी गलती है, जब कोई 11 बजे की जगह 8 बजे निकल रहा है तो सरकार क्या कर रही थी। जब सरकार को पता था कि लाल किले पर झंडा फहराने वाले को कुछ संगठनों ने करोड़ों रुपये देने की बात की थी।वहीं, बीकेयू (भानु) के अध्यक्ष ठाकुर भानू प्रताप सिंह ने कहा कि दिल्ली में जो कुछ भी कल हुआ, उससे मैं काफी आहत हूं और हम अपना 58 दिन पुराना आंदोलन खत्म कर रहे हैं।गाजीपुर बॉर्डर पर पिछले काफी दिनों से आंदोलन कर रहे वीएम सिंह ने आईटीओ पर मरने वाले किसान के बारे में भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने उसे उकसाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की। सिंह ने कहा, ”हिन्दुस्तान का झंडा, गरिमा, मर्यादा सबकी है। उस मर्यादा को अगर भंग किया है, भंग करने वाले गलत हैं और जिन्होंने भंग करने दिया, वह भी गलत हैं। आईटीओ में एक साथी शहीद भी हो गया। जो लेकर गया या जिसने उकसाया उसके खिलाफ पूरी कार्रवाई होनी चाहिए।

कांग्रेस ने की गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफ़े की माँग


जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता )कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को ज़िम्मेदार ठहराते हुए, उनसे इस्तीफ़े की माँग की है.बुधवार को कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि “किसान आंदोलन की आड़ में हुई हिंसा के लिए सीधे-सीधे गृहमंत्री अमित शाह ज़िम्मेदार हैं. उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का अधिकार नहीं. उन्हें बर्ख़ास्त किया जाना चाहिए. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ये माँग है.”उन्होंने कहा, “दिल्ली में उपद्रव को रोकने में असफल रहे गृहमंत्री अमित शाह के इशारे पर दिल्ली पुलिस उन उपद्रवियों पर मुक़दमा दर्ज़ करने की बजाय संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं पर मुक़दमा दर्ज़ कर भाजपा सरकार की साज़िश को साबित करती है।”बुधवार को किसानों के समर्थन में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देने वाले अभय सिंह चौटाला ने भी कहा है कि दिल्ली में हुई हिंसा केंद्र सरकार की साज़िश थी. विधानसभा से इस्तीफ़ा देने के लिए अभय सिंह चौटाला अपने ट्रैक्टर पर पहुँचे थे।इस्तीफ़ा देने के बाद चौटाला ने कहा, “जो किसान नेता आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे, उनके ख़िलाफ़ केंद्र सरकार ने मुक़दमे दर्ज़ किये. कल दिल्ली में जो हुआ वह केंद्र सरकार की साज़िश थी।”

25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज,19 गिरफ़्तार 50 लोगों को हिरासत में दिल्ली पुलिस कमिश्नर का बयान
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के एक धड़े की हिंसा के बाद बुधवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की.उन्होंने कहा कि अभी तक 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।19 आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया है और 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है, पुलिस के साथ हुए समझौते को किसान नेताओं ने न मानकर विश्वासघात किया है. किसी भी साज़िशकर्ता को छोड़ा नहीं जाएगा और क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।उन्होंने बताया, “कुल मिलाकर 394 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं कुछ अभी भी आईसीयू में भर्ती हैं. पुलिस के 428 बैरिकेड, 30 पुलिस की गाड़ियां, 6 कंटेनर्स और 8 टायर किलर्स को नुक़सान पहुंचा है. भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया. लाल क़िले पर फहराए गए धार्मिक झंडे की घटना को गंभीरता से लिया गया है. फ़ेस रिकगनिशन सिस्टम से लोगों की पहचान हो रही है, जिन पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी।“308 ट्विटर हैंडल जिनका संबंध पाकिस्तान से है, उनको बैन किया गया था. पुलिस कार्रवाई में एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई है और इस स्थिति को पुलिस ने बख़ूबी संभाला. जो किसान नेता इसमें शामिल थे उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।”पुलिस कमिश्नर ने बताया कि 2 जनवरी को दिल्ली पुलिस को पता चला था कि किसान एक ट्रैक्टर मार्च करने जा रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने आह्वान किया था कि उनके समर्थक 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली में आकर भाग लें. जैसे ही हमें इसकी जानकारी मिली, हम लोगों ने किसानों के नेताओं से संपर्क किया और उनके साथ विस्तार से बातचीत की, पांच राउंड की बैठक हुई और कई बार फ़ोन पर बातचीत हुई.”“हमने उनसे अपील की कि वो 26 जनवरी को यह रैली न करके किसी और दिन ट्रैक्टर रैली करें. इस पर उन्होंने इनकार कर दिया. इसके बाद हमने केएमपी पेरिफ़ेरल हाइवे पर उनसे रैली निकालने की अपील लेकिन उन्होंने दिल्ली में ही ट्रैक्टर मार्च निकालने की ठान ली. पांच राउंड की बैठक के बाद उनसे तीन रूट पर सहमति बनी थी. दिल्ली की जनता की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह तय हुआ था कि कुछ नियम एवं शर्तें लागू होंगी.।“पहली शर्त थी कि किसान ट्रैक्टर रैली दोपहर 12 बजे शुरू होगी और शाम पांच बजे तक ख़त्म होगी. दूसरी शर्त थी कि ट्रैक्टर मार्च किसान नेता लीड करेंगे और आगे की पंक्ति में होंगे और यह भी तय हुआ कि हर जत्थे के साथ उनके नेता चलेंगे. 5,000 से अधिक ट्रैक्टर नहीं होंगे और कोई भी हथियार, भाला, तलवार आदि नहीं होगा. रैली पूरी तरह शांतिपूर्ण होनी चाहिए.”पुलिस कमिश्नर ने बताया कि इसके लिए लिखित अनुमति दी गई थी और किसान नेताओं से शपथपत्र लिया गया लेकिन 25 जनवरी की शाम को यह पता चला कि वे अपने वादे से मुकर रहे हैं.“उन्होंने उग्रवादी धड़े को आगे कर दिया और भड़काऊ भाषण दिए जिसके बाद उनकी मंशा साफ़ हो गई लेकिन फिर भी दिल्ली पुलिस ने संयम से काम लिया. सुबह साढ़े 6 बजे से बैरिकेड तोड़ना शुरू हो गया. सिंघु बॉर्डर पर सुबह साढ़े सात बजे रैली शुरू हो गई और उस रैली को मुकरबा चौक से बाएं नहीं मुड़ना था लेकिन वो मुड़ गए. सतनाम सिंह पन्नू ने मुकरबा चौक पर भड़काऊ भाषण दिया जिसके बाद उनके समर्थक बैरिकेड तोड़ने लगे. दर्शनपाल सिंह आकर वहां बैठ गए और उन्होंने दाहिने मुड़ने से मना कर दिया. टिकरी बॉर्डर और ग़ाज़ीपुर बॉर्डर से भी प्रदर्शनकारी साढ़े आठ बजे चलना शुरू हो गए.“पुलिस के पास सभी विकल्प थे लेकिन उसने संयम का रास्ता चुना क्योंकि हम जान-माल की हानि नहीं चाहते थे. हमारे और उनके बीच में समझौता था कि हम शांतिपूर्ण रैली करवाएंगे और यह जो हिंसा हुई है वो नियम और शर्तों के उल्लंघन के कारण हुई है. इस हिंसा में सभी किसान नेता शामिल हैं.”

कोरोना पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के दिशानिर्देश जारी1फ़रवरी से लागू होंगे
जायज़ा डेली न्यूज़ नई दिल्ली (संवाददाता ) केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को कोरोना वायरस महामारी के मद्देनज़र दिशानिर्देश जारी किए हैं जो 1 फ़रवरी से लागू होकर 28 फ़रवरी तक जारी रहेंगे।गृह मंत्रालय ने सिनेमाघरों में 50 फ़ीसदी दर्शकों के बैठने की सीमा को हटा दिया है और अब सिनेमाघर अपनी बैठने की क्षमता के अनुसार दर्शकों को आने दे सकते हैं. हालांकि, इसको लेकर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जारी करेगा। इसके साथ ही गृह मंत्रालय ने स्विमिंग पूल्स खोलने की ज़िम्मेदारी युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय को सौंप दी है। वही इसको लेकर एसओपी जारी करेगा.65 साल से अधिक आयु के वे व्यक्ति जिन्हें अन्य बीमारियां हैं, गर्भवती महिलाएं और 10 साल से कम आयु के बच्चों को ग़ैर-ज़रूरी चीज़ों के लिए घर से बाहर जाने की अनुमति होगी। हालांकि उन्हें ज़रूरी क़दम उठाने होंगे।

 

 

 

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